Yogi Govt Decision: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. विकास कार्यों के लिए लगाए जाने वाले शिलापट्टों पर अब अधिकारियों का नाम नहीं लिखा जाएगा. इस पर सरकार ने पूरी तरह से रोक लगा दी है. अभी तक ज्यादातर विकास कार्यों के शिलापट्ट पर क्षेत्रीय प्रतिनिधि व मंत्रियों के नाम के साथ-साथ संबंधित अधिकारी का भी नाम लिखा जाता था. इस फैसले के बाद अब शिलापट्टों पर केवल मुख्यमंत्री और मंत्री के साथ क्षेत्रीय विधायक का नाम अनिवार्य रूप से लिखा जाएगा. प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इस संबंध में बुधवार को शासनादेश जारी किया है. आदेश में जिलाधिकारी के साथ निकाय अधिकारियों को भी निर्देश भेजे गए हैं. 


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प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग द्वारा जिलों को भेजे गए निर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि शहरी विकास के लिए आवंटित बजट से कराए गए कार्यों में शिलालेख व पट्टिका लगाने के संबंध में पूर्व में भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं. शासन को शिकायत मिल रही है कि आदेश के बावजूद भी स्थानीय स्तर पर मनमाना रवैया अपनाया जा रहा है इसलिए इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए. 


शासनादेश में कहा गया है कि नगर विकास विभाग द्वारा दिए जाने वाले पैसे से कराने वाले कामों में शिलापट्ट में मुख्यमंत्री, मंत्री नगर विकास के साथ ही क्षेत्रीय विधायक का नाम अनिवार्य रूप से लिखाया जाएगा. वरीयता के हिसाब पहले सीएम फिर नगर विकास मंत्री इसके बाद क्षेत्रीय विधायक का नाम होगा. नगर निगम होने की स्थिति में मेयर और नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत है तो अध्यक्षों का नाम लिखा जाएगा, लेकिन इसका फॉन्ट साइज समान होगा. ऐसे शिलालेखों या पट्टिकाओं में नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी या अन्य अधिकारियों का नाम नहीं लिखा जाएगा. दरअसल, अक्सर शिलापट्टों पर नाम लिखने को लेकर अधिकारियों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के बीच अदावत हो जाती थी. इस स्थिति के निराकरण के लिए सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि अब अधिकारियों का नाम नहीं लिखा जायेगा.  


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