Ghoomer Movie Review in Hindi: जिंदगी जब किस्मत का दरवाजा बंद करती है तो उसे खोलना नहीं... तोड़ना पड़ता है.. दिल और दिमाग पर हथोड़े की तरह चोट करने वाली ये बात अभिषेक बच्चन कहते हैं सैयामी खेर से फिल्म घूमर में. यानी जब किस्मत की मार से सपने चकनाचूर हो गए हों, जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर गई हो तो फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठने से या किस्मत को कोसने से कुछ नहीं होता, जरूरत होती है अपनी पूरी ताकत और हौसले के साथ उठ खड़ा होने की, ठान लेने की, जिद कर बैठने की, दृढ निश्चय कर लेने की, कि चाहें कुछ भी हो जाए, हालात कितने भी प्रतिकूल और विपरीत क्यों ना हों, अपने सपने को, अपनी मंजिल को हासिल करके ही दम लेंगे. 


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'घूमर' की कहानी 
यह एक महिला क्रिकेटर की कहानी है, जो एक एक्सिडेंट में अपना दायां हाथ गंवा देने के बाद भी जिंदगी की रेस में हार नहीं मानती. फिल्म की मुख्य किरदार अनीना यानी सैयामी खेर एक उभरती हुई महिला क्रिकेटर है, जिसका सपना है नेशनल क्रिकेट टीम में खेलना.  नेशनल टीम में उसका सलेक्शन भी हो जाता है लेकिन इससे पहले कि उसका सपना उड़ान भरते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचता, उसका दायां हाथ अचानक एक हादसे की भेंट चढ़ जाता है. नेशनल टीम के लिए खेलने के ख्वाब खंड-खंड हो जाते हैं. वह निराशा के समंदर में डूबने लगती है. जिंदगी बोझ लगने लगती है. तब उसका मार्गदर्शक, मेंटॉर और कोच बनता है पूर्व क्रिकेटर पदम सिंह सोढ़ी यानी अभिषेक बच्चन. फिर पदम सिंह सोढ़ी किस तरह से उसके चूर-चूर हो चुके सपने को नया आकार देते हैं. कैसे उस सपने को पूरा करने के लिए उसे तैयार करते हैं, यही फिल्म की स्टोरी है.


मूवी का नाम: घूमर 
कलाकार :
सैयामी खेर, अभिषेक बच्चन, शबाना आजमी, अंगद बेदी, इवांका दास
निर्देशक:  आर बाल्कि
कहां देखें: सिनेमाघरों में
फिल्म समीक्षा रेटिंग- 3.5 अंक


फिल्म के एक सीन में पैडी सर यानी अभिषेक के किरदार पदम सिंह सोढ़ी कहते हैं कि "लूजर क्या महसूस करता है मैं यह जानता हूं लेकिन मैं यह भी जानना चाहता हूं कि विनर्स क्या महसूस करते हैं." फिल्म में कई ऐसे सीन और डायलॉग्स हैं जो दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ते हैं. इसलिए फिल्म को कुछ नंबर इसके डायलॉग्स के लिए भी दिए जाने चाहिए. फिल्म के डायलॉग्स राहुल सेनगुप्ता और ऋषि विरमानी के साथ तैयार किए हैं फिल्म के निर्देशक आर बाल्कि ने. आर बाल्कि पहले भी फिल्म पा, चुपचाप, चीनी कम और पैडमैन जैसी फिल्में पर्दे पर ला चुके हैं.


कलाकारों का अभिनय
अभिषेक बच्चन और सैयामी खेर दोनों ही फिल्म के मुख्य किरदार हैं. अभिषेक अपने किरदार के साथ आखिरी फ्रेम तक न्याय करते नजर आते हैं. वह पहले भी इस तरह के रोल में काफी सहज दिखाई देते रहे हैं. अनीना के किरदार में सैयामी का अभिनय फिल्म की शुरुआत में तो कमजोर नजर आता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वो अपने अभिनय और किरदार दोनों में ही सशक्त और मजबूत दिखाई देती हैं. अंगद बेदी अनीना के बॉयफ्रेंड के रूप में हैं, तो वहीं शबाना आज़मी एक ऐसी दादी के रूप में नजर आई हैं जो अपनी पोती को क्रिकेटर बनाना चाहती हैं. फिल्म के आखिर में अमिताभ बच्चन भी कुछ समय के लिए स्क्रीन शेयर करते हैं. वह कहानी के किरदारों में भले ही नहीं है लेकिन फिर भी फिल्म में अपनी छाप छोड़ते हैं. 


निर्देशन और तकनीकी पक्ष  
अपनी कहानी को हल्के-फुल्के और व्यंगपूर्ण अंदाज में पेश करना आर बाल्कि की खूबी रही है. फिल्म की कहानी में भले ही कई परते हैं लेकिन बहुत ज्यादा किरदार नहीं है इसलिए फिल्म एक सीधी दिशा में आगे बढ़ते हुए आपको लगातार अपने साथ जोड़े रखती है. अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए अनीना के संघर्ष की कहानी भावुक करती है, यानी मानवीय स्तर पर आप फिल्म से जुड़ जाते हैं. दूसरा फिल्म के संवाद भी इसका एक सकारात्मक पहलू हैं. इंटरवल के बाद कहानी जबरन खींची हुई लगती है लेकिन भटकाव नहीं है इसलिए आप इसे नजरअंदाज कर सकते हैं. फिल्म के तकनीकी पक्ष की बात करें तो अमित त्रिवेदी संदीप शरद रावडे और दूसरे लोगों ने अच्छा काम किया है. 


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फिल्म रेटिंग 


स्पोर्ट्स ड्रामा घूमर एक प्रेरणादायक फिल्म है जो सिखाती है कि...पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है, मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है.....  फिल्म में सैयामी खेर के साथ अभिषेक बच्चन ने अभिनय की शानदार पारी खाली है. मेरी तरफ से फिल्म को 3.5 अंक


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