अजीत सिंह/ मथुरा: कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा के मुख्य मंदिर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जन्मोत्सव के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं, मथुरा पहुँचने वाले लाखों भक्तों के लिए यह बहुत ही विशेष मौका होता है. मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के लिए न सिर्फ पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, बल्कि इस बार जन्मोत्सव मनाने की थीम भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से प्रेरित होगी. उत्सव के दौरान श्रीकृष्ण जिस फूल बंगले में विराजमान होंगे, उसका नाम इसरो चीफ एस. सोमनाथ के नाम पर 'सोमनाथ पुष्प-बंगला' रखा गया है.  श्रीकृष्ण के विग्रह को जन्मोत्सव के मौके पर पहनाई जाने वाली पोशाक का नाम प्रज्ञान रोवर के नाम पर प्रज्ञान-प्रभास रखा गया है. ऐसा करने से जहां एक ओर इसरो की उपलब्धियों का जश्न मानना है वहीं  दूसरी ओर इसके कुछ ज्योतिष कारण भी हैं.  


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ज्योतिष कारण 
हिन्दू धर्म में नवग्रह पूजन का विशेष महत्त्व है. हर ग्रह का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. सूर्य, चंद्र, मंगल आदि ग्रह हमारे जीवन की दिशा और दशा बदल देते हैं.  धार्मिक मान्यता है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने तप बल से चंद्र आदि नवग्रह और उपग्रह का सटीक वर्णन किया है और इसरो के वैज्ञानिकों ने सनातन की उसी परंपरा को पुनर्स्थापित किया है. वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ साथ सनातन की शक्ति ने भारत को यह सफलता दिलाई है. 


मंगला आरती और पूजा का समय 
जन्मोत्सव के मौके पर विशेष मंगला आरती सुबह 05:30 बजे होगी. जन्मस्थान मंदिर के भागवत भवन में गणपति एवं नवग्रह स्थापना पूजन के साथ कृष्ण के प्राकट्योत्सव की प्रक्रिया रात 11 बजे से शुरू होगी और ठीक 12 बजे कृष्ण लला का प्राकट्य होने के साथ पंचामृत अभिषेक, श्रंगार आरती, भोग और शयन आरती के बाद ये प्रक्रिया रात 01:30 बजे संपन्न होगी. इसके अलावा जन्मस्थान परिसर में स्थित श्रीकृष्ण गर्भ गृह और कृष्ण चबूतरे को भी मूल स्वरूप में जेल की तरह सजाया जा रहा है, ताकि जन्मोत्सव के मौके पर यहां आने वाले लाखों कृष्ण भक्तों को प्राचीन स्वरूप का आभास कराया जा सके. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की धूम देखने के लिए देश विदेश के भक्त मथुरा पहुंचे हैं.