यूपी के इस गांव में नहीं रखा जाता करवाचौथ का व्रत, 200 साल पुरानी परंपरा
Mathura Surir Village Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं. वहीं, यूपी में एक ऐसा भी गांव है जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता. करवा चौथ पर इस गांव में सन्नाटा फैला रहता है.
Mathura Surir Village Karwa Chauth 2024: आज एक तरफ देशभर में करवा चौथ का पर्व मनाया जा रहा है. सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं. वहीं, यूपी में एक ऐसा भी गांव है जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता. करवा चौथ पर इस गांव में सन्नाटा फैला रहता है. यहां सुहागिन महिलाएं व्रत रखना तो दूर पूजा भी नहीं करतीं.
मथुरा का सुरीर गांव
दरअसल, मथुरा से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा सुरीर में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही रूढ़ीवादी परंपरा आज भी कायम है. इसे सती का श्राप कहें या बिलखती पत्नी की बद्दुआ सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ और अघोई अष्टमी का व्रत नहीं रखती हैं. यदि इस परंपरा को किसी विवाहिता ने तोड़ने का प्रयास किया तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है. इसी अनहोनी के डर से कस्बा सुरीर के मोहल्ला बघा में आज भी दर्जनों परिवार ऐसे हैं जिनके घर करवा चौथ का त्यौहार नहीं मनाया जाता है और ना ही विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं.
...तो इस वजह से नहीं रखते करवा चौथ का व्रत
बताया जाता है कि करीब 200 साल पहले गांव रामनगला नौहझील का एक ब्राह्मण युवक ससुराल से अपनी पत्नी को लेकर घर लौट रहा था. सुरीर में होकर निकलने के दौरान बघा मोहल्ले में ठाकुर समाज के लोगों से भैंसा बुग्गी को लेकर विवाद हो गया. इसमें इन लोगों के हाथों ब्राह्मण युवक की मौत हो गई थी. अपने सामने पति की मौत से कुपित मृतक की पत्नी इन लोगों को श्राप देते हुए सती हो गई थी. घटना के बाद मोहल्ले में मानो कहर आ गया था. कई जवान लोगों की मौत होने से महिलाएं विधवा होने लगीं. शोक, डर और दहशत से इन लोगों के परिवार में कोहराम मचना शुरू हो गया.
मंदिर में सती की पूजा करते हैं लोग
इसके बाद कुछ समझदार बुजर्ग लोगों ने इसे सती का श्राप मानते हुए क्षमा याचना करते हुए मोहल्ले में मंदिर बना कर सती की पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी. इससे सती के क्रोध का असर तो कुछ थम सा गया लेकिन इनके परिवार में पति और पुत्रों की दीर्घायु को मनाए जाने वाले करवा चौथ एवं अहोई अष्टमी के त्यौहार पर सती ने बंदिश लगा दी. तभी से यह त्यौहार मनाना तो दूर इनके परिवार की महिलाएं पूरा साज-श्रृंगार भी नहीं करती हैं. सदियों से चली आ रही इस सती के श्राप की कहानी को मोहल्ले के लोगों को सच मानते हैं. मंदिर में सती की पूजा-अर्चना भी की जाती है.
'कहानी सुनकर व्रत के बारे में सोचा भी नहीं'
बताया जाता है कि शादी होने के बाद अपने ससुराल आई नवविवाहिता को जब इस कहानी की जानकारी होती है तो वह मायूस हो जाती हैं. अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा गया करवा चौथ का त्यौहार नहीं रख पाती हैं. बबीता नाम की महिला और बुजुर्ग महिला सुनहरी ने बताया कि जब से इस गांव में ब्याह कर आए हैं तब से लेकर आज तक हम लोगों ने ना तो किसी को करवा चौथ का व्रत रखते हुए देखा और ना ही हम लोगों ने करवा चौथ का व्रत रखा. वहीं नवविवाहिता सीमा भी मायूस दिखीं और उन्होंने कहा कि जिस तरह से यहां की कहानी सुनी है व्रत रखना तो दूर व्रत के बारे में सोचना भी छोड़ दिया.
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