Karwa chauth 2024: करवा चौथ में क्यों जरूरी है मिट्टी का करवा? जानें इसका महत्व
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Karwa chauth 2024: करवा चौथ में क्यों जरूरी है मिट्टी का करवा? जानें इसका महत्व

Karwa chauth 2024: करवा चौथ का त्योहार सुहागिनों के लिए खास माना जाता है. यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. करवा चौथ की पूजा बिना मिट्टी के करवे के अधूरा माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा में मिट्टी के करवे का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. 

Karwa chauth 2024

Karwa chauth 2024: दिवाली से ठीक 12 दिन पहले करवाचौथ का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है. इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को पड़ रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं  निर्जला व्रत रखती रखती हैं. कुंवारी लड़की भी मनपसंद वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के दिन पूजा में मिट्टी के करवे का प्रयोग करना चाहिए.यह बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सीता और द्रोपदी ने भी इस व्रत को किया था. और व्रत के समय उन्होंने भी मिट्टी के करवे का ही उपयोग किया था.

करवाचौथ शब्द का अर्थ
करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है. चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है. इस दिन शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति, पत्नी को मिट्टी के बर्तन (करवा) से पानी पिलाकर व्रत खुलवाते हैं. हम आपको बताते हैं कि करवाचौथ के व्रत में  करवा क्यों महत्वपूर्ण है और इसका धार्मिक महत्व क्या है.

मिट्टी का करवा ही क्यों? 
धर्म ग्रंथों में मिट्टी को शुद्ध माना जाता है. मिट्टी के करवा का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा-अनुष्ठान के कार्यों में मिट्टी के बर्तनों को जैसे कलश, मिट्टी का दीपक आदि का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा प्रकृति में 5 मुख्य तत्वों के बारे में बताया गया है. मिट्टी, आकाश, जल, वायु, और अग्नि. इस तरह से करवाचौथ पर मिट्टी के करवा का प्रयोग करना बेहद ही शुभ माना जाता है.

पंच तत्वों का प्रतीक करवा
करवा पंच तत्वों का प्रतीक माना जाता है. मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते है जल, हवा , मिट्टी, अग्नि, और आकाश. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं पांच तत्वों से भी हमारा शरीर भी बना है. करवा में मिट्टी और जल मिलाया जाता है. पानी में मिट्टी को गलाकर करवा बनाया जाता है, भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है. उसे बनाकर धूप और हवा में सुखाया जाता है, जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक है. इसके बाद इस करवे को आग में तपाया जाता है. भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है. जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र है. इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दांपत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना करते हैं. मिट्टी के तपे हुए बर्तन में पानी पीना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी  उपयोगी बताया गया है. आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन में इसे फायदेमंद माना गया है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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