लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए मुहर्रम में ताजिया जुलूस नहीं निकालने और घर में ही ताजिया रखने का आदेश जारी किया है. सरकार के इस आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौलाना कल्बे जवाद दो दिवसीय धरने पर बैठ गए हैं. मौलाना सैफ अब्बास ने भी उनके धरने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ''अजादारी को लेकर हमारे बुजुर्ग उलेमा जो मुहीम चला रहे हम उनके साथ हैं. कोविड-19 की गाइडलाइन को को हर कोई मान रहा है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर उत्पीड़न न किया जाए.''


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सैफ अब्बास ने कहा कि सरकार इमामबाड़े की कैपिसिटी के हिसाब से मजलिस की परमीशन दे. उन्होंने कहा कि ताजिया से लोगों का रोजगार भी जुड़ा है, मुहर्रम में हुई कमाई से बहुतों का कई महीने खर्च चलता है. इसलिए सरकार को ताजिया निकालने और मजलिस पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. इससे पहले मौलाना कल्बे जवाद इमामबाड़ा गुफरान मॉब में अजादारों के साथ धरने पर बैठ गए. मौके पर सीनियर पुलिस अफसरों के साथ पुलिस फोर्स मौजूद रही.


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मौलाना की सरकार से मांग है कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों को मजलिस में शामिल होने की इजाजत मिले. मौलाना के धरने पर बैठने की खबर के बाद अजादार बड़ी संख्या में ईमामबाड़ा पहुंच रहे हैं. मौलाना कल्बे जवाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या उत्तर प्रदेश में मुल्क के दूसरे सूबों से अलग कानून चलता है? मौलाना कल्बे जवाद के साथ कई उलेमा भी धरने में शामिल हो गए हैं. लखनऊ पुलिस के अधिकारियों की मौलाना कल्बे जवाद के साथ बातचीत हुई लेकिन फिलहाल कोई नतीजा नही निकल सका है.


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