मायावती चाहकर भी क्यों नहीं भूल पातीं 'गेस्ट हाउस कांड'! जब टूटी थी सियासी 'मर्यादा'
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मायावती चाहकर भी क्यों नहीं भूल पातीं 'गेस्ट हाउस कांड'! जब टूटी थी सियासी 'मर्यादा'

स्टेट गेस्ट हाउस कांड के यूपी की सियासत में हमेशा याद रहेगा. घटनाके बाद मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, मोहम्मद आजम खां, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज किए गए थे.

मायावती चाहकर भी क्यों नहीं भूल पातीं 'गेस्ट हाउस कांड'! जब टूटी थी सियासी 'मर्यादा'

BSP सुप्रीमो मायावती ने आज एक बार फिर 1995 की उस घटना का जिक्र अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया, जो यूपी की राजनीति का काला अध्याय मानी जाती है. इस घटना ने न सिर्फ यूपी की सियासत बदल दी थी, बल्कि मायावती की राजनीति भी इसके इर्द-गिर्द ही बुनी जाती रही. समाजवादी पार्टी और मायावती के बीच के सियासी रिश्तों के बीच जब-जब गेस्ट हाउस कांड आया है, तब-तब यूपी की सियासत में कुछ अहम बदलाव हुए . एक बार फिर 1995 की इस घटना की बात छिड़ी है तो चलिए आपको बताते हैं क्या था वो कांड - 

  1. स्टेट गेस्ट हाउस कांड यूपी की सियासत में टर्निंग प्वाइंट रहा 
  2. इस कांड के बाद बदल गया सपा-बसपा का रिश्ता 
  3. कड़वाहट 24 साल बाद कम तो हुई लेकिन फिर टूटा गठबंधन 

क्या है गेस्ट हाउस कांड
यूपी की राजनीति में 2 जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है. उस वक्त बीएसपी के मुखिया कांशीराम थे. सपा के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने 1993 में उनसे गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी. दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में वो मोड़ आया, जिसने यूपी की सियासत बदलकर रख दी. गठबंधन सरकार में आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया. इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई. नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने राजनीति की मर्यादा लांघते हुए सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया. बताया जाता है उस वक्त बीएसपी नेता मायावती इसी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में रुकी थीं.

मायावती ने खुद को बचाने के लिए बंद किया कमरा 

बसपा के विधायक और कार्यकर्ता भी वहां थे, लेकिन सपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें बंधक बना लिया. हालात ये हो चुके थे कि सपा के दबंग नेता बसपा के विधायकों को अगवा करने लगे और मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरा अंदर से बंद कर लिया. घंटों ये ड्रामा चलता रहा. आखिरकार बीजेपी के कुछ नेताओं के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई और किसी तरह मायावती को वहां से बचाकर निकाला गया. 

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हजरतगंज कोतवाली में दर्ज हुए 3 मुकदमे
स्टेट गेस्ट हाउस कांड के यूपी की सियासत में हमेशा याद रहेगा. घटनाके बाद मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, मोहम्मद आजम खां, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज किए गए थे. इसमें सबूत के तौर पर फोटोग्राफर्स की कैद की हुई तस्वीरें पेश हुईं. सीबीसीआईडी ने तफ्तीश के बाद आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद सरकारें आती जाती रहीं, लेकिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा चलता ही रहा. 

24 साल बाद फिर आए थे साथ
स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा-बसपा फिर साथ नहीं आए लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान सपा-बसपा करीब 24 साल बाद एक साथ आए. ‘महागठबंधन’ तैयार हुआ लेकिन इसकी उम्र ज्यादा नहीं रही. लोकसभा चुनाव में परिणाम मनमुताबिक नहीं मिलने के बाद मायावती ने 4 जून 2019 को गठबंधन तोड़ दिया. हालांकि इसी गठबंधन के चलते मायावती ने स्टेट गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा भी वापस ले लिया था. जिस पर आज वे पछताती नजर आईं. बताते हैं गठबंधन के वक्त अखिलेश यादव के ही कहने पर उन्होंने मुकदमा वापस लिया था और आज अखिलेश यादव ने जब उनके 7 विधायक तोड़े तो स्टेट गेस्ट हाउस कांड की उनकी टीस ताजा हो गई. 

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