मुजफ्फरनगर: लेखक जावेद अख्तर ने यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने को लेकर जारी विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिए हैं कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्तरां और यहां तक ​​कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए, क्यों? नाज़ी जर्मनी में वे केवल विशेष दुकानों और घरों पर निशान बनाते थे."



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औवैसी का निशाना
इससे पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन औवैसी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने इस आदेश पर निशाना साधा था. ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले. इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था."



अखिलेश बोले कोर्ट दे दखल
वहीं, अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "...और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जाँच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं."



पुलिस ने दी सफाई 
मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को उनके मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने पर विवाद पैदा होने के बाद, मुजफ्फरनगर पुलिस ने गुरुवार को कहा कि पुलिस ने सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम "स्वेच्छा से प्रदर्शित" करने का आग्रह किया है, उन्होंने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी प्रकार का "धार्मिक भेदभाव" पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों को सुविधा प्रदान करना है.


पुलिस के मुताबिक पिछले दिनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कांवर मार्ग पर खाने पीने की चीजें बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों का नाम इस तरह रखा कि इससे कांवरियों के बीच भ्रम पैदा हुआ और कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो गई. इसको रोकने के लिए और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए, कांवर मार्ग पर होटल, ढाबों और खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करें''


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