मेरठ के चारों ओर हाईवे नेटवर्क तेजी से विकसित हो रहा है, जिससे कनेक्टिविटी मजबूत होगी. आउटर रिंग रोड की तरह काम करने वाली ये सड़कें शहर के अंदर से गुजरने का झंझट खत्म करेंगी और यातायात को सुगम बनाएंगी.
शहर एनएच-235, एनएच-58, एनएच-119, एनएच-709ए और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है. इन परियोजनाओं पर 992 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है.
सिसौली से हापुड़ रोड तक लगभग छह किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है. यह डंपिंग ग्राउंड के पास जाकर जुड़ेगी, जिससे हापुड़, बुलंदशहर और मुरादाबाद जैसे शहरों के लिए आवाजाही आसान हो जाएगी.
नरहेड़ा के पास एक्सप्रेसवे के पांचवें चरण का निर्माण कार्य प्रगति पर है. मिट्टी भरकर और समतल करने का काम हो रहा है, जिससे दिल्ली और मेरठ के बीच सीधा संपर्क संभव होगा.
सिसौली के पास से भावनपुर होते हुए सलारपुर तक 12.028 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है. 992 करोड़ रुपये की इस परियोजना को फरवरी 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
मवाना रोड को किला रोड से जोड़ने के लिए गंगानगर में 17 करोड़ रुपये की लागत से 45 मीटर चौड़ी सड़क तैयार हो चुकी है. इससे शहर के अंदर यातायात का दबाव कम होगा.
परतापुर से चांदसारा और फफूंडा होते हुए 7.52 किलोमीटर लंबी सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है. शासन ने इसके लिए 14 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि अन्य परियोजनाओं के लिए डीपीआर तैयार हो चुकी है.
परतापुर और मोदीपुरम में स्पेशल डेवलपमेंट एरिया (एसडीए) और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) जोन बनाए जा रहे हैं. इन क्षेत्रों में शोरूम, कार्यालय, होटल और घर बनने की योजना है.
रैपिड कॉरिडोर को महायोजना में मिश्रित भू उपयोग के तहत शामिल किया गया है. 3200 हेक्टेयर क्षेत्र में रियल एस्टेट, उद्योग, व्यापार और आवासीय परियोजनाओं को विकसित करने के लिए सर्वे और ड्रोन मैपिंग का काम पूरा हो चुका है.
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