लखनऊ: शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने उत्तर प्रदेश के वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्यमंत्री का कथन कि वर्तमान में शिया वक्फ कुल वक्फों की संख्या से 15 प्रतिशत कम है, इसलिए शिया व सुन्नी दोनों बोर्डों को एक कर दिया जाएगा, जानकारी के अभाव में दिया गया बयान है.


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रिजवी ने मीडिया से कहा कि शिया वक्फ बोर्ड द्वारा अयोध्या स्थित राम मंदिर को लेकर हाईकोर्ट में मंदिर के पक्ष में जो हलफनामा दाखिल किया गया है, उससे कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम संस्थाएं व धर्मगुरु घबराए हुए हैं. ये सभी बाबरी मस्जिद के पैरोकार हैं. इसी तरह के कुछ धर्मगुरुओं के संपर्क में वक्फ राज्यमंत्री हैं.


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उन्होंने कहा कि राज्यमंत्री का ऐसा आपत्तिजनक बयान राम मंदिर के निर्माण में बाधा उत्पन्न करने की साजिश लगती है. राज्यमंत्री रजा पहले भी कम मालूमात होने के कारण अवैधानिक कार्यवाही करके सरकार की किरकिरी करा चुके हैं.


शिया व सुन्नी बोर्ड नहीं हो सकते एक
रिजवी ने बताया कि साल 1941 में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड का अलग-अलग गठन हुआ था. जिस वक्त दोनों बोर्ड बनाए गए थे, उस वक्त शिया वक्फ बोर्ड में पंजीकृत वक्फ प्रदेश के कुल वक्फों से 15 प्रतिशत अधिक थे, जिस कारण प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड का अलग गठन हुआ था और आज तक शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड अलग-अलग हैं. 


रिजवी ने कहा कि वास्तव में वक्फ अधिनियम के अनुसार सिर्फ वक्फ की संख्या को नहीं, बल्कि वक्फों की कुल आय को भी आधार बनाया गया है. प्रदेश के समस्त मुस्लिम वक्फों की कुल आय में शिया वक्फों की 15 प्रतिशत से अधिक आय है, जिस कारण प्रदेश में शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड एक नहीं किए जा सकते. 


उन्होंने बताया कि मौजूदा वक्फ बोर्डों का गठन वर्ष 2015 में पांच वर्ष की कार्य अवधि के लिए किया जा चुका है, जिसका कार्यकाल वर्ष 2020 तक है. वक्फ अधिनियम के अनुसार वक्फ बोर्डों को भंग करने का कोई प्राविधान नहीं है.