संभल कभी थी संभलापुर, ऊंचे टीले पर था भव्य मंदिर... 1966 के गजेटियर में चौंकाने वाले खुलासे
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2534695

संभल कभी थी संभलापुर, ऊंचे टीले पर था भव्य मंदिर... 1966 के गजेटियर में चौंकाने वाले खुलासे

Sambhal Violence: सरकारी गजेटियर में संभल का इतिहास बताया गया कि इसका पुराना नाम संभलापुर था और पूरा शहर बिखरे हुए टीलों पर स्थित था. जहां भारत में इस्लामी शासन आने से पहले एक किला या कोट था.

Sambhal violence

Sambhal Jama Masjid: संभल में जामा मस्जिद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.  सर्वे के आदेश के बाद से ही इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है. इस समय पूरे देश में इस मसले की गूंज है. संभल विवाद में राजनीति भी जमकर हो रही है. ऐसा पहली बार नहीं है कि, जब संभल की जामा मस्जिद को हरि मंदिर बता कर दावा किया गया हो. इससे पहले भी साल 1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद का जिला गजेटियर तैयार किया था.  इस सरकारी गजेटियर में संभल की जामा मस्जिद के मुख्य परिसर की फोटो को संभल में कोट के ऊपर स्थित हरि मंदिर लिखा गया था.

सरकारी गजेटियर में लिखा संभल का इतिहास
इस सरकारी गजेटियर में संभल का इतिहास बताया गया कि इसका पुराना नाम संभलापुर था. ये पूरा शहर बिखरे हुए टीलों पर स्थित था. जहां भारत में इस्लामी शासन के आने से पहले एक किला या कोट था, जिस पर भगवान विष्णु का हरि मंदिर बना हुआ था जिसे मस्जिद में बदल दिया गया है. यह भी दावा किया गया कि पूरा ढांचा हिंदू मंदिर के रूप में था लेकिन इसे बाबर की मस्जिद कहा जाता है. गजेटियर में यह भी बताया गया कि मस्जिद में बड़ा सा टैंक, फव्वारा और बाहर एक प्राचीन कुआं है.

अभी भी है टंगी हुई मस्जिद में घंटे की जंजीर 
संभल की मस्जिद के मंदिर होने का एक और दावा साल 1873 की Asiatic Society of Bengal की रिपोर्ट में किया गया था. गजेटियर में कहा गया कि  मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई है. साथ में यह भी बताया था कि मस्जिद में घंटे की जंजीर अभी भी वहां पर टंगी हुई है. ये भी कहा गया कि भक्तों के लिए परिक्रमा का रास्ता भी बना हुआ है.

29 नवंबर को सुनवाई 
बीते दिनों संभल की जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर का सर्वे हुआ था जिसकी अगली तारीख 29 नवंबर मुकर्रर की गई है . दो बार हुए सर्वे में जहां मस्जिद कमेटी, मस्जिद में हिंदू मंदिर के किसी भी निशान से इनकार कर रही है तो हिंदू पक्ष इस बात का  लगातार दावा कर रहा है कि यहां पर पहले हिन्दू मन्दिर था.

उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 1966 में मुरादाबाद का ज़िला गजेटियर तैयार नहीं किया था,  साल 2024 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने मुरादाबाद मंडल का गजेटियर लॉन्च किया था. यह गजेटियर हिन्दी में प्रकाशित होने वाला पहला गजेटियर है. इसमें मंडल के इतिहास, संस्कृति, और प्रमुख लोगों के बारे में जानकारी दी गई है. 

Sambhal Court Commission: क्या होता है कोर्ट कमिश्नर सर्वे, काशी-मथुरा के बाद संभल से लेकर अजमेर तक इस पर क्यों उठा तूफान?

Trending news