Sambhal Violence Case: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हिंसा की आग भले ही ठंडी पड़ती दिख रही हो, लेकिन सियासतदान उसे लगातार हवा देने में जुटे हैं. समाजवादी पार्टी ने गोली लगने से मारे गए लोगों का मुद्दा उठाते यूपी पुलिस पर ही आरोप लगाया है कि उसने देसी हथियारों का इस्तेमाल किया. वहीं इस पर पलटवार करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि ये हिंसा कुंदरकी उपचुनाव में हार से बौखलाई पार्टी की साजिश है.


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पूर्व सपा नेता ने सीबीआई जांच की मांग
संभल हिंसा मामले में सपा सांसद और विधायक पुत्र का नाम एफआईआर किया गया. इसके बाद पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने सीबीआई जांच की मांग किया, और कई सवाल उठाए. इस दौरान कहा कि जियाउर रहमान बर्क उस दिन संभल में मौजूद नहीं थे, फिर उन पर आरोप कैसे लगाया जा रहा है? जहां तक विधायक पुत्र का सवाल है, वे हमेशा शांति के लिए काम करते हैं.  हमें यकीन नहीं कि वे ऐसा करेंगे.


राजभर ने संभल हिंसा को लेकर कहीं बड़ी बात  
संभल मामले पर कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि संभल हिंसा पॉलिटिकल है. मुसलमानों ने कुंदरकी में भाजपा को वोट दिया. इस वजह से संभल हिंसा कराई है. जो दोषी है उसके ऊपर कारवाई की जाती जाएगी.  फिर अखिलेश यादव किन पीड़ितों को मुआवजा देने की बात कर रहे हैं. जब डीएम ने बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित कर रखा है तो फिर राहुल गांधी क्या करने संभल जा रहे हैं और जाकर क्या कर लेंगे?  इन लोगों का काम सिर्फ मुसलमान को भड़काना है. आज मुसलमान बीजेपी के साथ है. 


पुलिस भी देशी बंदूकें इस्तेमाल करती 
एसटी हसन ने पीएम रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें मुरादाबाद कमिश्नर ने कहा था कि हिंसा में मौतें पुलिस की गोली से नहीं हुई. पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस भी कभी-कभी देशी बंदूकें इस्तेमाल करती है. इन सभी पहलुओं की निष्पक्ष सीबीआई जांच होनी चाहिए. 


गोधरा कांड में बीजेपी को फायदा 
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा हिंसा को गोधरा कांड जैसा करार देने और सपा पर साजिश का आरोप लगाने पर एसटी हसन ने पलटवार किया. गोधरा कांड के बाद गुजरात में बीजेपी को फायदा हुआ. हो सकता है, यहां भी ऐसा ही प्रयोग किया जा रहा हो. 


प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है?
मस्जिद के नीचे मंदिर की याचिका और अदालत के सर्वे फैसले पर भी एसटी हसन ने असहमति जताई. प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल का स्टेटस बदला नहीं जा सकता. क्या मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया जाएगा? या तो यह एक्ट खत्म करें या इस तरह की ड्रामेबाजी बंद करें. 


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