Sambhal Hindi News/सुनील सिंह: संभल से 10 किलोमीटर दूर चंदायन गांव में स्थित में चंद्रेश्वर महादेव मंदिर, 68 प्रमुख तीर्थों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दौर में हुआ था और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया है. मंदिर के आसपास कभी एक विशाल चंदन का बाग हुआ करता था, जहां पृथ्वीराज चौहान की बेटी बेला झूला झूलने आया करती थी.


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शाही जामा मस्जिद से समानता
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की नक्काशी और वास्तुकला में कई अद्भुत विशेषताएं हैं, जो संभल की प्रसिद्ध शाही जामा मस्जिद से मेल खाती हैं.
गर्भगृह की बनावट: मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर बने कमलदल, शाही जामा मस्जिद के डिज़ाइन से मिलते-जुलते हैं. 
गुंबद की संरचना: मंदिर का गुंबद भी मस्जिद के गुंबद से काफी हद तक समान है. 
घंटियों और झूमर की चैन: मंदिर में लगी घंटियों की चैन शाही जामा मस्जिद में लगे झूमर की चैन से मेल खाती है. 
बाहरी आकृति: मंदिर की बाहरी बनावट और स्थापत्य भी मस्जिद की संरचना के समान है. 


इतिहास और संघर्ष
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास में संघर्ष और बदलाव भी शामिल हैं. इसे लेकर विरोध हुआ और इसे तोड़ने की कोशिशें की गईं. लेकिन आज भी यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक पहचान को सहेजे हुए खड़ा है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसके नीचे एक सुरंग है, जो संभल तक जाती है.


प्राचीन महत्व के बावजूद अनदेखी
हालांकि चंद्रेश्वर महादेव मंदिर 68 तीर्थों में से एक है और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, इसे वह मान्यता और स्थान नहीं मिल पाया, जो इसे मिलना चाहिए था. वक्त के साथ मंदिर की संरचना में बदलाव आया, लेकिन इसकी ऐतिहासिक पहचान आज भी बरकरार है. 


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