UP Nikay Chunav 2023: इस बार के निकाय चुनाव बड़े दिलचस्प रहे. किसी का भी पूर्वानुमान सही नहीं रहा. हाल में संपन्न हु्ए निकाय चुनाव में सत्तारुढ़ बीजेपी ने उम्मीद से अधिक अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा को महापौर की 17 में से 17 सीटों को जीतने का मौका मिला. पूरे प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक पार्षद भी बीजेपी के ही जीते हैं. बीजेपी की शानदार जीत के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साह 7वें आसमान पर है. बीजेपी की प्रचंड़ जीत के बीच कोई और भी है जो खुश है. कहा जा रहा है कि प्रदेश के मुस्लिमों को अपना नया नेता मिल गया है. 


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दरअसर उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस- ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने सभी पार्टियों को चौंकाते हुए अपनी उपस्थति दर्ज करवाई है. ओवैसी की पार्टी महापौर का चुनाव तो नहीं जीत पाई लेकिन एआईएमआईएम के 19 पार्षद जीत कर आए हैं. 
यहां तक कि नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के भी 3 पद उनकी झोली में गए. वहीं अगर बात करें पालिका परिषद के सदस्यों की तो यहां जीतने वाली सीटों का आंकड़ा 33 है.नगर पंचायत सदस्य के पद पर ओवैसी की पार्टी के 23 सदस्य जीत कर आए. यह आंकड़ा सच में सभी पार्टियों के लिए चौका देने वाला था. 


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यूपी में हमेशा से मुस्लिमों को सपा का वोट बैंक माना जाता रहा है. ऐसे में सीधा सवाल ये उठता है कि क्या मुस्लिम वोटर अखिलेश से नाराज हैं. ओवैसी की पार्टी को इतनी सीटों पर जीत मिलने का सीधा मतलब है कि कुछ तो है जिससे मुस्लमान समाज सपा से नाराज है. जब अखिलेश यादव से यह सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि हमारी बस जीत नहीं हुई. देखा जाए तो सपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है. 


अखिलेश ने कहा- 
“आप दोबारा रिजल्ट देख लीजिए. उनको शिकायत ये है कि सपा को इतने प्रतिशत वोट क्यों मिल रहा है. उनकी साजिश करने के बाद भी सपा का वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ. पिछले निकाय चुनावों के हिसाब से बार मेयर सीट के चुनाव पर भी सपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है.जो लोग साजिश कर रहे हैं वो इसलिए क्योंकि सपा मुकाबले में है.”