UP Nikay Chunav 2023: लोकसभा 2024 चुनाव के लिए यूपी निकाय चुनाव के सहारे अपनी मजबूत आधार रखने में जुटी समाजवादी पार्टी के अंदर उथल-पुथल मची हुई है.  सपा  में कहीं बगावत, तो कहीं उम्मीदवार मैदान छोड़कर दूसरे दल का दामन थाम रहे है. कई जगों पर सपा विधायक टिकट में अनदेखी का आरोप लगाते हुए तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. इस तरह से अखिलेश यादव के लिए सपा में मची अंतर्कलह सियासी संकट बन गई है.


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शाहजहांपुर नगर निगम में अखिलेश यादव ने पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा की बहू अर्चना वर्मा को मेयर का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अब वो बीजेपी के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. इससे समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा. अर्चना के बीजेपी में जाने के बाद पार्टी ने माला राठौर को प्रत्याशी बनाया. इसी तरह से बरेली नगर निगम के लिए सपा ने संजीव सक्सेना को मेयर प्रत्याशी बनाया था. सक्सेना ने नामांकन भी दाखिल कर दिया था, लेकिन पार्टी ने अब डॉ. आइएस तोमर को चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है. इस तरह संजीव सक्सेना को अपने कदम पीछे खींचने पड़ सकते हैं.


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सपा ने बदले कैंडीडेट
सपा नगर निगम चुनाव में काफी उहापोह की स्थिति में है. झांसी और गाजियाबाद की मेयर सीट पर सपा ने अपने कैंडिडेट बदल दिए हैं. झांसी सीट से पार्टी ने पहले डॉ. रघुवीर चौधरी को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन पार्टी ने बाद में उनकी जगह पर सतीश जतारिया को अपना प्रत्याशी बना दिया. इसी तरह से सपा ने गाजियाबाद सीट पर पहले नीलम गर्ग को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में पार्टी ने गर्ग की जगह पर पूनम यादव को उम्मीदवार बना दिया है.


स्थानीय मुस्लिम विधायक नाराज
कानपुर में सपा पहले पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी को टिकट देना चाहती थी, लेकिन वो तैयार नहीं हुई तो विधायक अमिताभ बाजपेयी की पत्नी बंदना बाजपेयी को उम्मीदवार बनाया. मेरठ में सपा ने अपने विधायक अतुल प्रधान की पत्नी को प्रत्याशी बनाया है, जिसे लेकर पार्टी के स्थानीय मुस्लिम विधायक नाराज हो गए हैं. सहारनपुर में सपा को प्रत्याशी तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.


कई नेताओं ने पार्टी को कहा अलविदा
रायबरेली नगर पालिका सीट पर सपा ने मनोज पांडेय की मर्जी से परसनाथ को प्रत्याशी बनाया तो मो. इलियास उर्फ मन्नी समेत कई नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया. मन्नी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके बाद सपा के लिए रायबरेली में सीट पर संकट गहरा गया है, क्योंकि पार्टी के तमाम नेता सपा उम्मीदवार से नाखुश हैं. ऐसे में रायबरेली का मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता दिख रहा है और सपा लड़ाई से बाहर दिख रही है. 


हापुड़ में भी राह मुश्किल
हापुड़ में सपा का चेयरमैन बनना मुमकिन नहीं लग रहा है. पिलखुवा नगर पालिका सीट से मो. बिलाल को सपा ने प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में उनका टिकट काटकर प्रवीण प्रताप उर्फ राजा भैया को कैंडिडेट बना दिया है. बिलाल अब बागी हो चुके हैं. हापुड़ नगर पालिका अध्यक्ष पद सीट पर भी भूचाल आ गया है. पार्टी ने पहले अनिल आजाद को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में सपा ने आजाद समाज पार्टी की पूजा को समर्थन कर दिया है.


बाराबंकी-बलिया में भी विद्रोही तेवर
बाराबंकी की हैदरगढ़ नगर सीट पर सपा के पूर्व विधायक राममगन रावत ने टिकट न मिलने पर पार्टी से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी है तो बलिया के सिकंदरपुर से सपा विधायक और पूर्व मंत्री मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने विद्रोही तेवर दिखाते हुए पार्टी के घोषित उम्मीदवार के विरोध में निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया है. सिकंदरपुर नगर पंचायत अध्‍यक्ष पद के लिए सपा ने दिनेश चौधरी को टिकट दिया है जबकि रिजवी ने उनके खिलाफ भीष्म यादव को अपना समर्थन दिया है. इस तरह कमोबेश पूरे प्रदेश में स्थिति है, जहां सपा के टिकट वितरण के साथ पार्टी में अंतर्कलह मच गई है.


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