नैनीताल: चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के खिलाफ दायर याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई, जहां राज्य सरकार ने बद्रीनाथ धाम की पूजा पद्धति, व्यवस्था और इतिहास के संबंध में जानकारी दी. वहीं, देवस्थानम बोर्ड की पक्षकार एक संस्था ने याचिकाकर्ता के आरोपों को खारिज किया.


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चीफ जस्टिस की बेंच के सामने देवस्थानम एक्ट को सही बताते हुए रुलक संस्था ने कहा कि एक्ट को रद्द करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा जो आधार बनाया गया है वो सही नहीं है. इस एक्ट के जरिए आर्टिकल 25 का उल्लंघन नहीं हो रहा है और ना ही आर्टिकल 31A का इससे कुछ लेना देना है.


रुलक संस्था ने चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आर सी खुल्बे की खंडपीठ के सामने बताया कि इससे पहले भी अंग्रेजों के समय बीकेटीसी एक्ट 1939 से ही बद्रीनाथ और केदारनाथ की व्यवस्था संचालित हो रही थी.


चारधाम मंदिरों के प्रबंधन के लिए बनाए गए बोर्ड को असंवैधानिक बताने वाली बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर बुधवार को भी सुनवाई होगी, जहां राज्य सरकार के साथ-साथ रुलक संस्था भी कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे.