Noida Digital Arrest News: देशभर में साइबर क्राइम बढ़ते जा रहे हैं. आए दिन जालसाज अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाते हैं. कई बार इन ठगों के जाल में पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं. ऐसा ही एक मामला राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 34 में सामने आया है. यहां रहने वाली एक महिला इंजीनियर को साइबर अपराधियों ने करीब आठ घंटे तक डिजिटल बंधक बनाकर 11 लाख रुपये ठग लिए. पीड़िता ने साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज करवाया हैं. जिसके बाद पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि यह मामला डिजिटल अरेस्टिंग का है. 


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क्या है पूरा मामला? 
सेक्टर-34 स्थित धवलगिरी सोसाइटी में सीजा टीए रहती हैं. उनके पास बीते 13 नवंबर को एक फोन आया. सीजा के मुताबिक, आरोपी ने अपने आपको टेलीफोन रेगुलेटरी ऑफ इंडिया का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके सिम कार्ड खरीदा गया है. जिसका इस्तेमाल मनी लॉड्रिग में किया गया है. सिम का इस्तेमाल कर दो करोड़ रुपये निकालने गए हैं. इसके बाद आरोपी ने आगे की जांच का हवाला देकर कॉल ट्रांसफर कर दी. इसके बाद करीब आठ घंटे तक स्काइप कॉल से युवती की निगरानी कर उसे बंधक बनाए रखा गया. उसे किसी से भी बात करने के लिए मना किया गया. उससे कई तरह के सवाल किए गए. युवती को डराया धमकाया गया और खाते से 11.11 लाख रुपये ट्रांसफर कराने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया. 


साइबर थाना प्रभारी रीता यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि पीड़िता ने अपने खाते से ठगों द्वारा दिए गए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए. सारा प्रोसेस करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनके साथ ठगी हुई है. उन्होंने साइबर क्राइम थाना सेक्टर 34 में मामला दर्ज कराया. जहां क्राइम ब्रांच लगातार इस मामले में इन्वेस्टिगेशन कर कर रही है. 


क्या होता है डिजिटल अरेस्ट? 
साइबर थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये व्यक्ति पर नजर रखी जाती है. उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है. यानी वीडियो कॉल के जरिये व्यक्ति को जहां वह है वहीं कैद कर दिया जाता है. इस दौरान पीड़ित न तो किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है. व्यक्ति को उनके मोबाइल फोन पर लगातार जुड़े रहने को मजबूर किया जाता है. ऐप पर लगातार चैटिंग, ऑडियो-वीडियो कॉल कर उसे ऐप से लॉग आउट नहीं होने दिया जाता है. डरा धमकाकर रुपये भी ऐंठे जाते हैं. 


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