बकायदा वेबसाइट और दफ्तर बनाकर देते थे फर्जी मार्ट की फ्रेंचाइजी, गैंग पकड़ा गया, मास्टरमाइंड फरार
पुलिस के हत्थे एक ऐसा गिरोह चढ़ा है, जो फर्जी मार्ट की फ्रेंचाइजी देने के नाम पर पढ़े-लिखे लोगों को बेवकूफ बनाता था और उनसे लाखों की ठगी कर लेता था. इस गिरोह ने बकायदा अपना ऑफिस और वेबसाइट भी बना रखी थी.
गौतमबुद्धनगर: पुलिस के हत्थे एक ऐसा गिरोह चढ़ा है, जो फर्जी मार्ट की फ्रेंचाइजी देने के नाम पर पढ़े-लिखे लोगों को बेवकूफ बनाता था और उनसे लाखों की ठगी कर लेता था. इस गिरोह ने बकायदा अपना ऑफिस और वेबसाइट भी बना रखी थी. ऑनलाइन प्रमोशन में भी ठीक-ठाक खर्च करते थे ताकि ठगी के शिकार हो रहे लोगों को भनक तक न लगे कि वे अपने पैसे ठगों के हाथ में दे रहे हैं.
साल भर में कमाए करोड़ों
फर्जी फ्रेंचाइजी कंपनी बनाकर इस गिरोह ने अब तक 50 से ज्यादा लोगों को ठगा है. पकड़े गए गिरोह के सदस्यों के पास से करीब 8 से 10 करोड़ का माल बरामद हुआ है. बरामद हुए सामान में 3.330 किलोग्राम सोने के बिस्कुट और गहने, 242 ग्राम चांदी, 13 लाख 54 हजार 550 रुपये नगद, 1 मर्सिडीज समेत 5 गाड़ियां और तमाम इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद हुए हैं. ये फर्जी कंपनी साल 2019 में बनाई गई और नोएडा में इसका ऑफिस खोला गया.
4 गिरफ्तार, मास्टरमाइंड गायब
इस मामले में अब तक 4 अभियुक्त गिरफ्तार हुए हैं, हालांकि गैंग का मास्टरमाइंड राजेश कुमार अब भी फरार ही है. गैंग हाइपर मार्ट कंपनी नाम की फर्जी कंपनी की फ्रेंचाइजी देने के नाम पर ठगी को अंजाम देता था. अब तक फर्जी कंपनी के 5 फ्रॉड केस सामने आ चुके हैं. हालांकि पुलिस का कहना है कि करीब 100 केसेज होंगे, जिसमें ठगी की गई है.
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ठगी का अंतरराज्यीय गिरोह चलाता है राजेश
इस पूरे गैंग का मास्टरमाइंड राजेश पुलिस की पहुंच से अब भी दूर है. लेकिन उसके कारनामे जानकर किसी के भी दांत खट्टे हो जाएं. ठगी का ये धंधा बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, समेत कई राज्यों में चलता था. डीसीपी हरीशचंद्र ने गिरोह के पकड़ में आते ही बताया था कि आरोपी धोखाधड़ी में इतने माहिर थे कि पढ़े-लिखे लोग भी तुरंत उनके झांसे में आ जाते थे.
आरोपियों ने सभी कंपनियों के नाम से जीएसटी नंबर भी ले रखे थे. पीड़ितों को फ्रेंचाइजी लेने से पहले कंपनी की पूरी तरह जांच करने की सलाह देते थे. इससे लोगों का विश्वास कंपनी पर बढ़ जाता था. पीड़ितों को फ्रेंचाइजी के लिए जगह और उसका किराया देना होता था. डेकोरेशन और सामान के नाम पर गैंग उनसे लाखों की रकम लेता था. पीड़ितों को ठगी का पता तब चलता था जब उनके पास सामान पहुंचता ही नहीं था.
नोएडा के कमिश्नर ने SIT जांच की बात कही
नोएडा के कमिश्नर आलोक सिंह ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए केस की जांच के लिए SIT गठित करने की बात कही है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय और जरूरत पड़ने पर SFIO द्वारा जांच का प्रस्ताव भी सरकार को भेजा है.
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