लखनऊ: दिसम्बर, 2017 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष और चुनाव के नतीजे आने के पहले बने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड को धराशायी करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति शुरू की थी. जिसके तहत राहुल गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान कई मंदिरों के दर्शन करते भी दिखे. कांग्रेस के नेता सुरजेवाला ने तो कांग्रेस उपाध्यक्ष को जनेऊ-धारी राहुल तक बता डाला था. हालंकि, बीजेपी गुजरात विधान सभा में सरकार बनाने मे सफल हुई थी पर राहुल की मेहनत और सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड ने कांग्रेस को 78 सीटों पर जीत दिलाई थी. वहीं बीजेपी को महज 99 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.


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वहीं, जनवरी 2019 में सक्रिय राजनीति में बतौर कांग्रेस महासचिव प्रवेश करने वाली प्रियंका वाड्रा गांधी ने भी अब कुछ वैसी ही सॉफ्ट हिंदुत्व की पॉलिटिक्स को अमली जमा पहनाना शुरू किया है. फर्क सिर्फ दो हैं पर महत्वपूर्ण हैं. पहला कि राहुल का सॉफ्ट हिंदुत्व एजेंडा गुजरात चुनाव के चलते था और गुजरात में दिखाई भी दिया. तो वहीं प्रियंका का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड एक तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में दिखाई दे रहा है और दूसरा विधान सभा चुनाव अभी भी यूपी में दो साल दूर हैं.


दरअसल. उत्तर प्रदेश में प्रियंका के नेतृत्व वाली कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की शिथिल पड़ती विपक्षी की भूमिका से उत्पन्न हुई खाली जगह को भरने के प्रयास में दिख रही है. शायद यही कारण है कि योगी सरकार पर हमलावर होने का कोई भी मौका प्रियंका वाड्रा छोड़ना नहीं चाह रही हैं. फिर चाहे वो रास्ता ट्विटर का हो या फिर सड़क पर उतरने का हो.


वैसे एक बात तो ये भी बिल्कुल साफ है कि बीजेपी को कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी से मुकाबला ज्यादा फायदेमंद दिखता है. बजाए कि जाति की राजनीति से पनपी समाजवादी और बहुजन समाज जैसी क्षेत्रीय पार्टियों से.


ऐसे में प्रियंका के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए विपक्ष की खाली पड़ी जगह को भरना फिलहाल पहला ध्येय जान पड़ता है. हाल ही में सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद हुए पुलिस एक्शन को बर्बरतापूर्ण बताते हुए प्रियंका वाड्रा ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


चूंकि प्रदर्शन में एक समुदाय विशेष के लोग ही ज्यादा थे. लिहाजा किसी भी पार्टी का उनको दिये गए समर्थन के चलते दूसरे समुदाय के वोट बैंक को खोने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में कुछ तो ऐसा करना होगा की यह भी खुश और वो भी खुश.


शायद इसलिए प्रियंका ने कल हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहां एक ओर सीएए के विरोध में खड़े हुए लोगों के पक्ष में अपनी बात रखी. तो वहीं दूसरी ओर योगी के भगवा वस्त्र का हिन्दू सनातन धर्म में महत्व भी बता डाला. साथ ये भी बताने कि कोशिश की कैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवा वस्त्र पहने संतों के अनुरूप आचरण नहीं करते हुए दिख रहे हैं.


पुलिसिया सख्ती पर सवाल उठाते हुए प्रियंका ने कहा, “मुख्यमंत्री ने बदला लेने का जो बयान दिया, उसी पर पुलिस कायम है. ये इतिहास में पहली बार हुआ जब मुख्यमंत्री ने बदला लेने की बात कही है. कृष्ण भगवान का वेश है, भगवान राम करुणा के प्रतीक हैं, शिव जी की बारात में सब नाचते हैं. इस देश में बदले की कोई परंपरा नहीं है. श्री कृष्ण ने अपने प्रवचन में कभी बदले की बात नहीं की. योगी ने भगवा धारण किया, ये भगवा आपका नहीं है, भगवा देश की आध्यात्मिक आस्था का चिन्ह है. इसमें बदले की भावना की कोई जगह नहीं है.”


प्रियंका के बयान पर पलटवार करते हुए योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री को भगवा धारण और धर्म की सीख दी है. जिसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं. योगी जी मठ से आए हैं, वो उनका परिवार है और संस्कारों में उपर है. भगवाधारी पर और हिंदू धर्म पर आरोप लगाना यह कांग्रेस की आदत बन चुकी है. अपने परंपराओं के अंतर्गत आज कांग्रेस के नेता के द्वारा जो इस प्रकार की बातें की हैं. मुझे लगता है कि इस बात का एहसास नहीं है कि भगवा क्या है. एसपी, बीएसपी और कांग्रेस चुनाव में हुई हार से परेशान है. लिहाजा इन सभी को अपना में होड़ चल रही है कि अपना वोट बैंक कैसे बचाएं.


वैसे कांग्रेस नेता सुरेन्द्र राजपूत कहते हैं कि कांग्रेस किसी भी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं करती है. हम बीजेपी कि तरह राम के नाम का व्यापार नहीं करते हैं. राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं, राम हमारे पूर्वज हैं पर राम हमारे लिए राजनीति का विषय नहीं हैं.


हालांकि, इसमे दो राय नहीं है की गुजरात विधान सभा चुनाव और मौजूदा राजनैतिक वातावरण में बीजेपी का प्रखर हिंदुत्व कांग्रेस को सॉफ्ट हिन्दुत्व कार्ड खेलने के लिए मजबूर करता हुआ दिखाई देता है. पर बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस को इस बार भी वैसा ही फायदा होगा जैसा की गुजरात चुनाव में हुआ था ?