दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी सरकार के हलफनामे पर याचिकाकर्ता ने जवाब दाखिल कर दिया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में विकास दुबे के एनकाउंटर की कहानी को सी ग्रेड फिल्म जैसी बताया है. साथ ही कहा कि बदला लेने पर उतारू पुलिस ने गैंगवार में शामिल प्रतिद्वंदी गिरोह जैसा बर्ताव किया.


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शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि एनकाउंटर मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गठित न्यायिक आयोग अवैध है क्योंकि सरकार ने ना तो विधानसभा से मंजूरी ली और ना अध्यादेश पारित किया.


8 पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच कर रहे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत अग्रवाल पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा बेहद विवादास्पद हालात में दिया था.


वहीं, कानपुर कांड की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम पर भी याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए, उन्होंने कहा कि SIT में शामिल DIG रविंद्र गौड़ खुद 2007 में हुई एक फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे हैं. उस वक्त पुलिस ने 16 साल के प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर कर दिया था.