Akhilesh Yadav: मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने अपने सियासी सफर की शुरुआत साल 2000 के लोकसभा उपचुनाव से की थी. अखिलेश यादव अभी तक एक बार भी राज्यसभा और विधानसभा के सदस्य नहीं रहे हैं. अब अखिलेश खुद कन्नौज से किस्मत आजमाने के लिए 12 साल के बाद उतर रहे हैं.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने अपने सियासी सफर की शुरुआत साल 2000 के लोकसभा उपचुनाव से की थी. अखिलेश ने कन्नौज से लोकसभा का उपचुनाव जीता था. अखिलेश यादव उसके बाद भी लगातार दो लोकसभा चुनाव जीते. अखिलेश यादव कुल तीन बार सांसद बने.
अखिलेश यादव 1 बार विधायक और 4 बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं. साल 2000 से 2004 तक वो लोकसभा में कन्नौज के उपचुनाव से सांसद रहे है. जिसके बाद 2004 से लेकर 2009 तक वो दोबारा कन्नौज के सांसद रहे है. जिसके बाद वो साल 2009 से 2012 तक तीसरी बार सांसद बने लेकिन उन्होंने साल 2012 में कन्नौज से इस्तीफा दे दिया वही साल 2009 में फिरोजाबाद से इस्तीफा दिया.
अखिलेश यादव 1 बार विधायक और 4 बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं. साल 2000 से 2004 तक वो लोकसभा में कन्नौज के उपचुनाव से सांसद रहे है. जिसके बाद 2004 से लेकर 2009 तक वो दोबारा कन्नौज के सांसद रहे है. जिसके बाद वो साल 2009 से 2012 तक तीसरी बार सांसद बने लेकिन उन्होंने साल 2012 में कन्नौज से इस्तीफा दे दिया वही साल 2009 में फिरोजाबाद से इस्तीफा दिया
साल 2012 से 2018 तक वो उत्तर प्रदेश विधान परिषद में एमएलसी थे वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. साल 2019 से 2022 में वो आजमगढ़ से सांसद रहे फिर साल 2022 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वहीं 2022 से लेकर अभी तक वो करहल से विधायक है और उत्तर प्रदेश विधान सभा में विपक्ष के नेता है.
जनेश्वर मिश्र ही अखिलेश यादव के राजनीतिक गुरु बने. उन्होंने 2000 से 2001 तक आचार समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया था वहीं 2004 में दूसरे कार्यकाल के लिए सदस्य के रूप में चुने गए.
2009 अखिलेश यादव के राजनीतिक करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है. इस दिन समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था.
अखिलेश यादव 2009 में कन्नौज और फिरोजाबाद दोनों सीटों से जीतने में कामयाब रहे थे. जिसके बाद फिरोजाबाद सीट छोड़ दी. लेकिन 2019 में कन्नौज सीट नहीं जीत सकीं.
10 मार्च 2012 को उन्हें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नेता नियुक्त किया गया. 15 मार्च 2012 को वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने , जो पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे.
2017 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश के नेतृत्व वाली सपा - कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने में असमर्थ रही. 2012 में अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं.
2019 के भारतीय आम चुनाव और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में यादव को संसद और राज्य विधानसभा के लिए एक साथ चुना गया, बाद में अखिलेश ने अपनी राज्य विधानसभा सीट बरकरार रखी और इस तरह लोकसभा में अपना इस्तीफा सौंप दिया.
यादव अभी तक एक बार भी राज्यसभा और विधानसभा के सदस्य नहीं रहे हैं. अब अखिलेश खुद कन्नौज से किस्मत आजमाने के लिए 12 साल के बाद उतर रहे हैं.