साल 1979 में पहली बार अतीक का नाम मो. गुलाम की हत्या के केस में सामने आया. महज 17 साल की उम्र में अतीक अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था. अतीक पर हत्या का पहला मुकदमा साल 1979 में खुल्दाबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.
अतीक अहमद की आपराधिक गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रही थी. अतीक अहमद पर लगाम कसने के लिए यूपी सरकार ने साल 1985 में गुंडा एक्ट और 1986 में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. इसके साथ ही 17 फरवरी 1992 में अतीक अहमद की हिस्ट्रीशीट खोली गई.
अपना खौफ कामय करने के लिए अतीक ने राजनीति में कदम रखा. साल 1989 में पहली बार चांद बाबा को हराकर अतीक विधायक बना. इसके बाद अतीक ने राजनीति के दम पर काले कारनामे और अपराध करने शुरू कर दिए. अतीक प्रयागराज पश्चिमी सीट से पांच बार विधायक और एक बार सांसद चुना गया.
अतीक ने 12वीं के बाद मोहल्ले से ही जबरन रंगदारी वसूलनी शुरू कर दी थी. अतीक के पिता तांगा चलाते और साथ में कुश्ती के भी शौकीन थे. अतीक भी अपने पिता के साथ कुश्ती खेलता था, जिसकी वजह से लोग उसे पहलवान बुलाते थे. अतीक ने 17 साल की उम्र में ही मोहल्ले से जबरन रंगदारी वसूलनी शुरू कर दी.
लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में अतीक ने समाजवादी सरकार को बचाने के लिए बसपा प्रमुख मायावती सहित उनके दल के तमाम लोगों को बंधक बना लिया था. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में अतीक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. जिसकी जांच क्राइम ब्रांच और सीआईडी (CID) ने की थी. अतीक की प्रमुख भूमिका आने के बाद धूमनगंज थाने में उसपर एक ही दिन में 114 मुकदमें दर्ज हुए थे.