अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान का मुद्दा पहली बार 1857 की क्रांति के वक्त कोर्ट पहुंचा था.आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं, आंदोलन हुए तब कहीं जाकर रामलला को उनका मालिकाना हक मिला.
9 नवंबर 2019; फैसले का दिन: तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया. साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही किसी महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को आवंटित करने का आदेश दिया.
3 अगस्त 2020 को अयोध्या डीएम के अनुज कुमार झा ने जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंप दिया. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने जमीन के कागजात जिलाधिकारी से प्राप्त कर लिए.