यूपी के इस शहर में रावण का अनोखा मंदिर, दशहरा पर दहन नहीं मनाते हैं जन्‍मदिन

देशभर में आज दशहरा मनाया जा रहा है. रावण का दहन होगा. वहीं, यूपी के कानपुर में रावण का अनोखा मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार दशहरे के दिन खुलता है. 1868 में बने इस मंदिर की मान्‍यता है कि यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है. रावण के दर्शन करने के लिए भारी संख्‍या में लोग आते हैं.

अमितेश पांडेय Sat, 12 Oct 2024-2:55 pm,
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दशानन मंदिर

कानपुर के शिवाला में बने लंकेश मंदिर का कपाट दशहरा के दिन साल भर में एक बार खुलता है. दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. 

 

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रावण की मूर्ति स्‍थापित

इस मंदिर में एक विशालकाय शिवलिंग भी है और यहां रावण की मूर्ति भी स्थापित की गई थी. उन्नाव के रहने वाले एक परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. 

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जलाभिषेक किया जाता है

साल में एक दिन यानी दशहरे के दिन इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं और इसी दिन यहां रावण का दूध और जल से जलाभिषेक होता है फिर श्रंगार कर आरती के साथ पूजन किया जाता है. 

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क्या है मान्यता

मान्यता है यहां साल में एक बार जब कोई श्रद्धालु दर्शन कर कोई मनोकामना करता है तो उसकी मुराद इस मंदिर में जरूर पूरी होती है. 

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ज्ञान और भक्ति की पूजा

वहीं, मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां रावण के ज्ञान और उसकी भक्ति को लेकर उसकी पूजा की जाती है.  

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विजयदशमी के दिन खुलता है मंदिर

कहा जाता है कि हर किसी में एक अच्छा और एक बुरा रूप होता है जिसके चलते रावण के इस मंदिर में उनके विद्वान होने ओर भक्ति को स्वरूप मानकर मंदिर को साल में एक बार विजयदशमी के दिन खोला जाता है. 

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वध के दिन मिल गया था मोक्ष

बाकी साल भर ये मंदिर बंद रहता है. मान्यता यह भी है कि जिस दिन राम के हाथों रावण का वध हुआ था उसी दिन उसे मोक्ष भी मिला था. 

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जन्‍मदिन मनाया जाता है.

रावण वध के दिन उसे नया जन्म भी मिल गया था. इसके चलते इस मंदिर में रावण का दशहरा के दिन जन्मदिन भी मनाया जाता है. 

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अहंकार की कमी थी

बताया गया कि रावण जैसा विद्वान, ज्ञानी, शक्तिशाली, बलशाली कोई नहीं था. रावण में एक कमी थी अहंकार, और उसी का पुतला जलाते हैं. 

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नीलकंठ के दर्शन

मान्यता है कि दशानन मंदिर में दशहरे के दिन लंकाधिराज रावण की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं. 

 

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फूल-माला के साथ दीपक

महिलाएं दशानन की प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दीया और तरोई के फूल अर्पित कर सुख समृद्धि, पुत्र और परिवार के लिए ज्ञान व शक्ति की कामना करते हैं. 

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विद्या और ताकत का वर मांगते हैं

भक्त दशानन से विद्या और ताकत का वर मांगते हैं. मान्यता है कि मंदिर में दशानन के दर्शन करते समय भक्तों को अहंकार नहीं करने की सीख भी मिलती है. 

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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