यूपी के इस शहर में आजाद भारत की पहली यूनिवर्सिटी, जिसने देश को दिए 1 दर्जन से ज्‍यादा कुलपति

सीएम योगी गोरखपुर दौरे पर हैं. शनिवार को वह दीन दयाल उपाध्‍याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे. यहां छात्रों को भविष्‍य में सक्‍सेस का मंत्र दिए. गोरखपुर यूनिवर्सिटी का स्‍वर्णिम इतिहास रहा है. इस यूनिवर्सिटी से कई मंत्री पढ़कर निकले.

अमितेश पांडेय Oct 04, 2024, 16:08 PM IST
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गोरखपुर यून‍िवर्सिटी का इतिहास

दरअसल, आजाद भारत में उत्तर प्रदेश के पहले विश्वविद्यालय की नींव राज्य के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने 1957 में रखी थी. 

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पहला कुलपति

11 अप्रैल 1957 को बीएन झा ने पहले कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला. पहले इसका नाम गोरखपुर विश्वविद्यालय था. 

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नाम बदल दिया

बाद में साल 1997 में इसका नाम दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय कर दिया गया. 

 

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इनका भी योगदान

गीता प्रेस के संस्थापकों में से एक हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं सरदार मजीठिया ने भी इस यूनिवर्सिटी को बनाने में मदद की. 

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350 से ज्‍यादा संबद्ध कॉलेज

वर्तमान में इस विश्वविद्यालय के साथ 350 से ज्यादा कॉलेज सम्बद्ध हैं. यहां छात्रों की कुल संख्या करीब 2.75 लाख है. 

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15 हजार से ज्‍यादा छात्र

गोरखपुर विश्वविद्यालय कैंपस में करीब 15 हजार स्टूडेंट्स पंजीकृत हैं. यहां करीब सौ से ज्यादा कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. 

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इतने कोर्स का संचालन

अभी गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुल 13 स्नातक और 36 परास्नातक कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. 

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पीजी कोर्स भी

इसके साथ ही सेल्फ फाइनेंस के तीन यूजी, नौ पीजी कोर्सेज भी उपलब्ध हैं. पीजी डिप्लोमा के 23, डिप्लोमा के 10, एडवांस डिप्लोमा के दो और 29 सर्टिफिकेट कोर्सेज भी उपलब्ध हैं. 

 

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बीटेक और एमबीए की पढ़ाई

गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में रेगुलर कोर्सेज की फीस तीन से पांच हजार प्रति सेमेस्टर है. साथ ही यहां सस्‍ती फीस में बीटे की भी पढ़ाई होती है. 

 

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कई मंत्री यहां से पढ़े

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने यहां से पढ़ाई की. 

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एक दर्जन से ज्‍यादा कुलपति

इसके अलावा एमपी जगदंबिका पाल, प्रमुख साहित्यकार पद्मश्री विश्वनाथ तिवारी, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, जनरल एसपीएम त्रिपाठी समेत इस विश्वविद्यालय ने एक दर्जन से ज्यादा कुलपति भी दिए हैं.

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