इस वर्ष 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी है. पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर में 3:01 से शुरू होगी. जिसका समापन 7 सितंबर को शाम 5:37 पर समाप्त होगा.
भारत में हर साल गणेश चतुर्थी को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो लगभग 10 दिनों तक लगातार चलता है. ये सबसे ज्यादा महाराष्ट और कर्नाटका में मनाई जाती है.
देश में गणेश पूजन की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. इस दिन सभी भक्तजन बप्पा को घर लाते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं.
मान्यता है कि गणपति जी की आराधना करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं. साथ ही सफलता के योग बनते हैं. वहीं इस दौरान विघ्नहर्ता को मोदक, फल, खीर और मिठाई अर्पित की जाती हैं, जिससे वह प्रसन्न होते हैं.
गणेश चतुर्थी पर पूजा को हमेशा संपूर्ण सामग्रियों के साथ करना चाहिए. इससे आप पर बप्पा की कृपा बनी रहती है. ऐसे में आइए गणपति बप्पा के पूजन की संपूर्ण सामग्रियों के बारे में जानते हैं.
पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है. इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 33 मिनट पर होगा.
आपको सिंदूर, कलश, मोदक, केला, आरती की किताब, सुपारी, मौसमी फल, धूप, दीप, गंगाजल, कपूर, जनेऊ, चंदन, फूल, अक्षत्, पान का पत्ता, लकड़ी की चौकी, केले के पौधे , पीला और लाल रंग का कपड़ा और नए वस्त्र चाहिए होंगे.
गणेश जी की पूजा में मोदक, लड्डू और दूर्वा विशेष तौर पर रखे जाते है. रोज पूजा के समय भगवान को 21 दूर्वा अवश्य अर्पित करें.
सिन्दूर और फूल-पूजा में नारियल रखने के लिए कलश चाहिए, कपूर, हल्दी, जनेऊ, वस्त्र, चंदन, अक्षत आदि समान भी आपको चाहिए होगा.
मूर्ति को रखने के लिए एक साफ चौकी. उसके ऊपर अच्छे से पंडाल सजा सकते है. पीला और लाल कपड़े को चौकी पर बिछाएं. भगवन गणेश जी की नई मूर्ति लाएं.
सुपारी और पान के पत्ते, लड्डू और मोदक का भगवान को भोग लगाएं. भगवान को दूर्वा जरूर चढ़ाया जाता है. नारियल और मौसमी फल की पूजा के दौरान चढ़ाएं.