Abu Dhabi BAPS Hindu Mandir: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में पहले हिंदू मंदिर के लिए निर्माण का काम जारी है. इस मंदिर की खासियत है कि इसमें लोहे या उससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसका निर्माण भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के तहत किया जा रहा है.
भारतीय दूतावास के आंकड़ों के मुताबिक, यूएई में तकरीबन 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की आबादी का लगभग 30% हिस्सा है.
मंदिर में 2000 से ज्यादा कलाकृतियां इस मंदिर में लगाई जाएंगी. जिनका फाइनल डिजाइन यहां तैयार किया जा रहा है. बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था इस मंदिर का निर्माण कर रही है. जिसकी ओर से मंदिर के प्रगति कार्य की तस्वीरें साझा की गई हैं.
मार्च 2021 तक ये मंदिर बनकर तैयार होने की उम्मीद है. मंदिर की दीवारों पर हाथियों को मालाओं के साथ उकेरा गया है. इसके अलावा मोर और मानवीय आकृतियों को भी शिल्प के जरिये जीवित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी. उन्होंने वीडियो लिंकिंग के जरिए इसकी आधारशिला रखी थी. अबू धाबी में बनने वाले भव्य मंदिर के लिए 125 करोड़ भारतीयों की ओर से वली अहद शहजादा मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया था.
मंदिर निर्माण के लिए भारत में 3,000 कारीगर दिन रात काम में लगे हुए हैं, जो 5000 टन इटालियन मार्बल से नक्काशीदार चिह्न और मूर्तियां बना रहे हैं.
मास्टर प्लान के डिजाइन को 2020 की शुरुआत में पूरा किया गया था.मंदिर के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पत्थर की नक्काशी के माध्यम से प्रामाणिक प्राचीन कला और वास्तुकला को पुनर्जीवित किया जाएगा.
मंदिर अबू धाबी में 'अल वाकबा' नाम की जगह पर 20,000 वर्ग मीटर की जमीन पर बन रहा है.हाइवे से सटा अल वाकबा अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है.
अबु धाबी में बन रहे इस मंदिर के निर्माण का कार्य हाल ही में शुरू हुआ है. यह मंदिर पूरी तरह पत्थरों को तराश का अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है. हालांकि, आकार में यह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से छोटा होगा.
यह मंदिर बेहद शानदार और बड़ा होगा। इसमें एक छोटा ‘वृंदावन’ यानी बगीचा और फव्वारा भी होगा. हालांकि, दुबई में दो मंदिर (शिव और कृष्ण के) और एक गुरुद्वारा पहले से हैं. अबू धाबी में चर्च ज़रूर हैं, लेकिन कोई मंदिर नहीं हैं.