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Kedarnath Temple: पांडवो के बनवाए केदारनाथ मंदिर का शंकराचार्य ने एक हजार साल पहले कराया था जीर्णोद्धार, दिल्ली में नए मंदिर पर क्यों छिड़ा विवाद?

अब तक आपने धर्म के नाम पर विवाद तो बहुत देखा या सुना होगा. राम मंदिर विवाद भी सुना और उसका निर्माण भी देखा होगा. अब उत्तराखंड के एक मंदिर के निर्माण पर भी बवाल हो गया है. इसके विरोध में तो साधु-संत भी उतर आए हैं. जानें क्या है विवाद और क्या है इस मंदिर का इतिहास?

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Kedarnath Temple in Delhi : राम मंदिर समेत कई मंदिरों के विवाद के किस्से आपने सुने या देखे होंगे, लेकिन क्या आपने मंदिर निर्माण के विरोध में साधु-संतों को देखा है. जी हां हम बिल्कुल सच बता रहे हैं. इस मंदिर के निर्माण के विरोध में दिल्ली से उत्तराखंड तक बवाल मचा हुआ है. जिस मंदिर के निर्माण का विरोध हो रहा है वो मंदिर उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर है. दिल्ली के बुराड़ी में दूसरा केदारनाथ मंदिर बनने जा रहा है. इस मंदिर का भूमि पूजन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 10 जुलाई को किया. अब यह निर्माणाधीन मंदिर विवादों का केंद्र बन गया है.

विवाद की सबसे बड़ी वजह

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विवाद की सबसे बड़ी वजह

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने और उसके उद्घाटन पर उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के पंडा पुजारी और आम लोग तो विरोध कर ही रहे हैं. नाराजगी की सबसे बड़ी वजह उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का बुराड़ी वाले मंदिर का शिलान्यास करना है.

 

तीर्थ पुरोहितों का आरोप

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तीर्थ पुरोहितों का आरोप

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित का कहना है कि हिन्दू परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार इस फैसले को शीघ्र वापस ले, नहीं तो देश में बड़ा आंदोलन होगा. यह हिंदू आस्था के साथ सनातन और वैदिक परंपरा का अपमान है.

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर

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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर

दिल्ली के बुराड़ी स्थित हिरनकी में 'श्री केदारनाथ धाम' के नाम से मंदिर बन रहा है. इसे श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट बना रहा है. यह मंदिर तीन एकड़ में बनेगा. मंदिर के लिए 15 करोड़ का चंदा मिला है. करीब 3 साल में ये मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. ट्रस्ट क कहना है केदारनाथ धाम के कपाट 6 महीने बंद रहते हैं. इसलिए इसका निर्माण हो रहा है.

उत्तराखंड सरकार का योगदान नहीं

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उत्तराखंड सरकार का योगदान नहीं

विवाद को बढ़ता देख ट्रस्ट ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बन रहा है, धाम नहीं. इसका निर्माण श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी करा रहा है. इसके निर्माण में उत्तराखंड सरकार का कोई योगदान नहीं है. सीएम सिर्फ निमंत्रण पर शिलान्यास करने आए थे.

मंदिर और धाम में अंतर

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मंदिर और धाम में अंतर

मंदिर उसे माना जाता है जहां देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा होती है. जबकि धाम में देवी और देवता का निवास होता है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित में केदारनाथ भगवान शिव का धाम है. मंदिर बनाने का केदारनाथ में विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि उत्तराखंड की 70 फीसदी आबादी चारधाम यात्रा पर आश्रित है. ऐसे में दिल्ली में मंदिर बनने से केदारनाथ पर असर का डर है.

पंच केदार में से एक है केदारनाथ

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पंच केदार में से एक है केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है. हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में शामिल होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है. यहां की प्रतिकूल जलवायु की वजह से यह अप्रैल से नवंबर के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है. इस मंदिर को लेकर लोगों में बहुत आस्था है.

केदारनाथ का इतिहास

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केदारनाथ का इतिहास

कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था. यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है. आदि शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया. केदारनाथ जी के तीर्थ पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मण हैं, उनके पूर्वज ऋषि-मुनि भगवान नर-नारायण के समय से इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करते आ रहे हैं.

ये करते हैं शिव लिंग की पूजा

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ये करते हैं शिव लिंग की पूजा

आदि गुरु शंकराचार्य के समय से यहां पर दक्षिण भारत से जंगम समुदाय के रावल व पुजारी मंदिर में शिव लिंग की पूजा करते हैं, जबकि यात्रियों की ओर से पूजा इन तीर्थ पुरोहित ब्राह्मणों द्वारा की जाती है. यह मंदिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है.

तीन भागों में केदारनाथ मंदिर

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तीन भागों में केदारनाथ मंदिर

बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं. मंदिर को तीन भागों में बांटा जा सकता है गर्भ गृह , मध्यभाग और सभा मण्डप. गर्भ गृह के मध्य में भगवान श्री केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है जिसके अग्र भाग पर गणेश जी की आकृति और साथ ही मां पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान है.

कैसा है केदारनाथ मंदिर?

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कैसा है केदारनाथ मंदिर?

ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यगयोपवित और ज्योतिर्लिंग के पृष्ठ भाग पर प्राकृतिक स्फटिक माला को आसानी से देखा जा सकता है. श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नव लिंगाकार विग्रह विधमान है इस वजह से इस ज्योतिर्लिंग को नव लिंग केदार भी कहा जाता है. श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के चारों ओर विशालकाय चार स्तंभ विद्यमान है जिनको चारों वेदों का धोतक माना जाता है , जिन पर विशालकाय कमलनुमा मंदिर की छत टिकी हुई है.

भगवान श्री केदारेश्वर जी की परिक्रमा

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भगवान श्री केदारेश्वर जी की परिक्रमा

ज्योतिर्लिंग के पश्चिमी ओर एक अखंड दीपक है जो कई हजारों सालों से निरंतर जलता रहता है जिसकी देख रेख और निरन्तर जलते रहने की जिम्मेदारी पूर्व काल से तीर्थ पुरोहितों की है. गर्भ गृह में स्थित चारों विशालकाय खंभों के पीछे से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान श्री केदारेश्वर जी की परिक्रमा की जाती है.

गर्भ गृह जाने की परमिशन

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गर्भ गृह जाने की परमिशन

​शिवलिंग को जल, दूध, दही आदि द्रव्य पदार्थ चढ़ते हैं. जिस वजह से यहां पर यात्रियों को गर्भ गृह में जाने दिया जाता है. दूसरे मंदिरों में मूर्ति रूप में होने की वजह से गर्भ गृह तक जाने पर प्रतिबंध होता है. ऐसे में केदारनाथ धाम में ही यात्रियों को गर्भ गृह जाने की परमिशन है.