उत्तराखंड में इन दिनों चारधाम यात्रा की धूम मची है..देशभर से ही नहीं विदेशों से भी लोग चारधाम पहुंच रहे हैं. भारी भीड़ को देखते हुए उत्तराखंड प्रशासन ने 19 मई तक ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद कर दिया है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए और भी कई तरह की पाबंदिया लगाई हैं.
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने रक्षा बंधन के दिन इस झील में स्नान किया था, इसीलिए इसका नाम वासुकी पड़ गया. वासुकी ताल से चौखम्बा चोटियों के राजसी दृश्य दिल और दिमाग को बेहद शांति प्रदान करते हैं. यह जगह केदारनाथ से महज 8 किलोमीटर दूर है.
मान्यता है कि सोनप्रयाग में ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सोनप्रयाग शानदर बर्फ से ढकी चोटियां से घिरा है. यह जगह केदारनाथ धाम से केवल 20 किलोमीटर दूर है.
कहा जाता है कि यह वही मंदिर है जहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि शिव और पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के समक्ष हुआ था इसलिए उनके सम्मान में त्रियुगी नारायण मंदिर का निर्माण कराया गया. यह मंदिर सोनप्रयाग से 12 किलोमीटर दूर है.
यह मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बना है जो केदारनाथ धाम के दक्षिण से महज 500-700 मीटर की दूरी है. यह मंदिर भगवान भैरव द्वारा प्रतिष्ठित है. यहां से हिमालय और केदारनाथ घाटी का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है.
गौरीकुंड मंदिर सोनप्रयाग से बस 6 किलोमीटर की दूरी है जो मंदाकिनी नदी के तट पर बना है. इस मंदिर को आध्यात्मिकता और मोक्ष का द्वारा कहा जाता है. गौरीकुंड मंदिर और गौरी झील इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्थल हैं. यहां से नीचे बहती गंगा की वजह हरियाली का बेहद सुंदर नजारा दिखाई देता है.
2019 में पीएम मोदी जब केदारनाथ के दर्शन को पहुंचे तो यहीं पर उन्होंने ध्यान किया तभी से यह गुफा ज्यादा लोकप्रिय हो गई. गुफा का रखरखाव गढ़वाल मंडल विकास निगम करता है और इसमें एक व्यक्ति के रहने के लिए आवास भी मौजूद है. यहां से आप केदारनाथ मंदिर और भैरवनाथ मंदिर को देख सकते हैं.
चोराबारी ताल को गांधी ताल के नाम भी जाना जाता है. यह ग्लेशियर से निर्मित एक सुंदर झील है. जिसमें बेहद साफ और स्वच्छ पानी रहता है. यह केदारनाथ से 3 किलोमीटर दूर है और समुद्रतल से 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
केदारनाथ मार्ग पर स्थित गुप्तकाशी बहुत ही सुंदर कस्बा है जो केदारघाटी में मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है. समुद्रतल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह की केदारनाथ से करीब 23 किलोमीटर की दूरी है. गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर और अर्धनारीश्वर मंदिर का विशेष महत्व है.
यह दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है और पंच केदार मंदिरों में सबसे ऊंचा है. मान्यता है कि जब महाभारत युद्ध में नरसंहार से शिवजी पांडवों से रुष्ट हो गए थे तो पांडवों नें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था. यह केदारनाथ से करीब 31 किलोमीटर दूर है.
यह खबर सिर्फ धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं और विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई जानकारी पर आधारित है. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zee UPUK किसी भी तरह की मान्यता और धारणा की पुष्टि नहीं करता है.