श्रीराम राजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर बुंदेलखंड के ओरछा में स्थित है. यह मंदिर करीब 400 साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर के बारे में बहुत सी कहानियां प्रसिद्ध हैं.
यूं तो भगवान श्री राम का नाम सुबह शाम हर किसी की जुबां पर रहता है. लेकिन हार्ट का एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्री राम को राजा मन जाता है और यहां उनकों दिन में चार बार सलामी दी जाती है. आइये जानते है इस मंदिर का इतिहास.
भारत में इस मंदिर में भगवान् श्री राम को राजा मानकर उनकी पूजा कई जाती है. राजा कहकर श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगते हैं.
झांसी से बीस किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश सीमा पर बेतवा नहीं के किनारे स्थित ओरछा में भगवान् राम का मंदिर है, इस मंदिर को राजा राम सरकार के नाम से जाना जाता है
यह भारत का एक ऐसा मंदिर है, जहां श्री राम को भगवान नहीं बल्कि रजा राम माना जाता है. उन्हें भगवन राजा राम को दिन में चार बार गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाता है
मान्यताओं के आधार पर पिछले 400 सालों से यह प्रथा चली आ रही है. यहां के लोगों का मानना है कि भगवान श्री राम आज भी उनके यहां राज करते हैं
सैलानियों के लिए यह प्राचीन मंदिर पर्यटन स्थल है. लाखों की संख्या में लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. आपको बता दें कि राजा राम को गार्ड ऑफ़ ऑनर देने के लिए यहां पर पुलिसकर्मियों कई तैनाती की गई है.
मिली जानकारी के अनुसार भगवान श्री राम खुद ही यहां के राजा बनना चाहते थे. आज से करीब 400 साल पहले साल 1554 से 1594 तक राजा मधुकर शाह ओरछा के राजा थे. उनकी पत्नी रानी कुंवर गणेशी के सपने में आकर भगवान राम ने खुद को भगवान की बजाय राजा कहलवाने की इच्छा जाहिर की थी
राजा मधुकर शाह कृष्ण भगवान के भक्त थे. एक बार उन्होंने रानी कुंवर गणेशी से वृंदावन चलने को कहा, लेकिन रानी ने जाने से मना कर दिया. इस बात को लेकर दोनों में बहस हो गई. इसके बाद राजा ने रानी को चुनौती दी कि अगर राम भगवान हैं, तो उन्हें ओरछा लाकर दिखाओ इस पर रानी अवधपुरी अयोध्या चली गईं और सरयू नदी किनारे लक्ष्मण किला के पास कड़ी तपस्या की
इतिहास के अनुसार, एक महीने तपस्या करने के बाद रानी ने थककर सरयू नदी में छलांग लगा दी, लेकिन चमत्कारिक रूप से वह नदी से बाहर पहुंच गईं. इसे राम का ही चमत्कार माना गया. कहा जाता है कि बेहोश स्थिति में रही रानी ने जब आंखें खोली तो भगवान राम उन्हें गोद में बैठे प्रतीत हुए
रानी ने भगवान से प्रार्थना की कि वह ओरछा चलें. श्रीराम ने रानी के सामने ओरछा आने के लिए तीन शर्तें रखीं. पहली यह कि वह पुख्य नक्षत्र में ही ओरछा के लिए प्रस्थान करेंगे. दूसरा, जहां एक बार बैठेंगे वहीं स्थापित हो जाएंगे. तीसरा, वह ओरछा के राजा कहलाएंगे, जहां उनका राजशाही फरमान चलेगा.