क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई नदी या तालाब ऐसा हो सकता है जहां पत्ते तो डूब जाते हैं लेकिन फल तैरते रहते हैं. सुनकर यह बात भले ही हैरान कर देने वाली लगे लेकिन यह चमत्कार होता आया है सीतापुर जिले के नैमिषारण्य तीर्थ स्थल पर। आइये आपको बताते हैं इस चमत्कारिक तीर्थ स्थल नैमिषारण्य के बारे में.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में आदि गंगा गोमती पर स्थित नैमिषारण्य तीर्थस्थली भक्त भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते हैं. मान्यता है कि अगर बेलपत्र डूब जाए तो समझो भोलेनाथ ने भक्त की प्रार्थना सुन ली है और प्रसाद स्वीकार कर लिया है.
इतना ही नहीं प्रसाद मांगने पर वह पानी से बाहर भी निकल आता है. कई वैज्ञानिक और मनीषी लेकिन इस मंदिर के चमत्कार का रहस्य क्या है कोई नहीं बता सका.
नैमिषारण्य तीर्थ स्थल को रुद्रावर्त के तीर्थ के तौर पर जाना जाता है. इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. शायद इसी वजह से यहां हर साल हजारों भक्त आते हैं और मन की मुराद मांगते हैं.
नैमिष भूमि को शिव पुराण में भगवान शिव का अत्यंत प्रिय स्थल बताया गया है. शायद यही कारण है कि नैमिषारण्य अनेक चमत्कारों से भरपूर है और विज्ञान की कल्पानाओं से परे आस्था को एक अलग ही रूप में परिभाषित करता है.
विज्ञान कहता है कि कोई भी पत्ता पानी या दूध में डूब नहीं सकता. लेकिन जब यहां सच्चे मन से ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए बेलपत्री को पानी में छोड़ा जाता है तो वह सीधे पानी में समा जाता है.
आमतौर पर देखा जाता है कि जब दूध को पानी में डाला जाता है तो पानी में घुल जाता है, लेकिन यहां जब भक्त ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए दूध का नदी में डालते हैं तो नदी की धारा के साथ दूर तक बहता हुआ दिखाई देता है.
इस धार्मिक स्थल की मान्यता ऐसी है कि यहां पूर्व राज्यपाल बीएल जोशी, वर्तमान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, के अलावा विधायक और मंत्री यहां आकर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं.
वैसे तो नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र में विद्युत विभाग ने बिजली सप्लाई के लिए लाइन दी हुई हैं, लेकिन दो मास्ट लाइट अक्सर खराब रहने से शाम होते ही यह क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता है.
खबर में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई, ज्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें. इसके काल्पनिक चित्रण का ZEE UP/UK समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.