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आषाढ़ मास में कभी न करें या 7 काम, भुगतने पड़ सकते हैं बुरे परिणाम

हिंदू धर्म में आषाढ़ मास का बहुत महत्व बताया गया है. माना जाता है इस महीने अगर संयमित जीवन जीते हुए पूजा-पाठ किया जाए तो उसका फल अवश्य प्राप्त होता है. आषाढ़ मास के कुछ नियम भी हैं जिन्हें अनदेखा करने पर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है.

चतुर्मास

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चतुर्मास

आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी आती है, जिसके बाद भगवान विष्णु 4 महीने के लिए शयन करते हैं. इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.

 

भोजन

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भोजन

हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मसूर दाल, गोभी, लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए. गंध युक्त चीजों का सेवन भी कम करना चाहिए, ताकि मन संयमित रहे.

दान

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दान

आषाढ़ मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है इसलिए दान-पुण्य का विशेष महत्व है. जलदान, अन्नदान, वस्त्रदान और गरीबों की सेवा करनी चाहिए.

वाणी

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वाणी

भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के चलते इस महीने बुरी शक्तियों हमारे मन और विचारों पर ज्यादा प्रभार डाल सकती हैं इसलिए इस महीने वाणी पर संयम रखते हुए गाली-गलौज, झूठ बोलना और निंदा आदि नहीं करना चाहिए.

जल

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जल

आषाढ़ मास में अक्सर बरसात का मौसम शुरू हो जाता है और जलदेवता की पूजा की जाती है. इसलिए इस महीने जल का अपमान न करें. जल बर्बाद न करें और उसका दान करें.

 

क्रोध

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क्रोध

क्योंकि इस महीने असुरी और दानवीय शक्तियां ज्यादा प्रभावी हो जाती हैं इसलिए क्रोध, अहंकार, घमंड और दूसरो का अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके परिणाम बुरे ही होते हैं.

पूजा-पाठ

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पूजा-पाठ

हिंदू धर्म में आषाढ़ मास को पूजा-पाठ और संयम का महीना बताया गया है और इस महीने पूजा-पाठ का जल्दी फल मिलता है. इसलिए इस दौरान भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी की पूजा करें और जप, ध्यान, स्मरण करें.

 

ब्रह्मचार्य और नियम संयम

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ब्रह्मचार्य और नियम संयम

इस महीने जुआ, बुरी आदतों से दूर रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, धार्मिक ग्रंथों रामायण, श्रीमद्भागवत आदि का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा पशु-पक्षी और गाय आदि की सेवा करनी चाहिए.

DISCLAIMER

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DISCLAIMER

खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए  ZEE UPUK उत्तरदायी नहीं है.