आखिर 9 दिन की ही क्यों होती है नवरात्रि?, ज्‍यादातर लोग नहीं जानते असल वजह

शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन था. ऐसे में यूपी के प्रमुख शहरों में माता का दरबार सज गए हैं. कई जगहों पर दुर्गा पूजा पंडाल लगाए गए है. नवरात्रि के ये नौ दिन देवी मां को समर्पित हैं. तो आइये जानते हैं शारदीय नवरात्रि के 9 दिन के पीछे की मान्यता.

अमितेश पांडेय Oct 05, 2024, 18:14 PM IST
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नौ दिन की नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही प्रकृति में 9 दिनों में बड़े बदलाव होते हैं. नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन के लिए भी जाना जाता है. 

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नवरात्रि नाम पड़ा

सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया गया है. 

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आंतरिक चेतना में परिवर्तन

नवरात्रि के समय में हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है. ऋतु प्रकृति का हमारे जीवन, सोच और धर्म में बहुत अहम स्थान रहा है. 

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अन्‍न त्‍याग

यदि आप नौ दिनों तक अन्‍न का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन साल भर स्वस्थ और निश्चिंत रहता है.

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माता का संपूर्ण जीवन समाया

शारदीय नवरात्रि में शक्ति मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है. इन नौ रूपों से ही माता का संपूर्ण जीवन समाया हुआ है.

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इन नौ रूपों की पूजा

माता के जिन 9 रूपों की पूजा की जाती है उनमें 1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कुष्मांडा, 5. स्कंदमाता, 6. कात्यायनी, 7. कालरात्रि, 8. महागौरी और 9. सिद्धिदात्री हैं.

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महिषासुर का अंत

मां दुर्गा ने धरती पर म​हिषासुर के आतंक को समाप्त किया था. महिषासुर का वरदान मिला था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय हासिल नहीं कर सकता. 

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राक्षसों का संहार

ऐसे में देवताओं ने माता को खुश कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए. इन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति से युक्त किया. 

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अंकों में 9 अंक

एक वजह यह भी है कि अंकों में नौ अंक पूर्ण होता है. नौ के बाद कोई अंक नहीं होता है. सात ग्रहों में नौ ग्रहों को महत्वपूर्ण माना जाता है.

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मनुष्‍य के शरीर में सात चक्र

किसी भी मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं जो जागृत होने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है. 

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आठवें और नौवें दिन

वहीं, 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है. 9वें दिन शक्ति की सिद्धि का होता है. शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति जागृत होती है.

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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