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Vijaygarh Fort in Sonbhadra: चंद्रकांता की प्रेम कहानी का आज भी गवाह है सोनभद्र का ये किला, तिलिस्म और रहस्यों से भरा है ये दुर्ग

युवराज और चंद्रकांता की प्रेम कहानी कौन नहीं जानता होगा. यह कहानी सोनभद्र जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर तिलस्मी विजयगढ़ दुर्ग दरों-दीवारों की में रची और बसाई गईं थी. यहां आज भी लोग गुफाओं, खजाने और पवित्र स्थान होने की चर्चा करते नहीं थकते हैं.

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Vijaygarh Fort in Sonbhadra: सोनभद्र मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर मऊ कला गांव स्थित विजयगढ़ दुर्ग चंद्रकांता की अमर प्रेम कहानी का प्रतीक माना जाता है. नौगढ़ के युवराज के साथ उसकी प्रेम कहानी को लेकर बना टीवी सीरियल चंद्रकांता प्रसारित हुआ था, जो काफी लोकप्रिय रहा.

तिलिस्म दुर्ग की खासियत

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तिलिस्म दुर्ग की खासियत

चंद्रकांता धारावाहिक से मशहूर इस तिलस्म दुर्ग की खासियत है कि दुर्ग के अंदर से गुफा के जरिए नौगढ़ और चुनारगढ़ किले के लिए रास्ता बना है. यह रास्ता तिलस्म से ही खुलता है. इस दुर्ग का खजाना भी इन्हीं गुफाओं में छिपे होने की संभावना अक्सर लोग जताते है.

खड़ी चट्टानी पहाड़ियां

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खड़ी चट्टानी पहाड़ियां

यह किला, मऊ कलां गांव में रॉबट्सगंज-चर्च रोड़ पर है. इसका आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा हुआ है. इस किले की अनूठी विशेषता, किले में बने गुफा चित्र, मूर्तियां, चट्टानों पर लिखे शिलालेख और चार बारहमासी तालाब है.

किले के पास लैंडमार्क

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किले के पास लैंडमार्क

इस किले के पास दो लैंडमार्क स्थित है, जिन्हें मीरा सागर और राम सागर के नाम से जाना जाता है. इन दोनों के मध्य रंग महल पैलेस है जो खूबसूरत चट्टानी नक्काशियों के लिए जाना जाता है.

तालाब का रहस्य

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तालाब का रहस्य

दुर्ग के ऊपर बने छोटे-बड़े सात तालाब हैं. इनमें रामसरोवर तालाब और सीता तालाब में कभी पानी नहीं सूखता. पर्यटकों की मानें तो तिलस्मी विजयगढ़ दुर्ग की दीवारें अब जगह-जगह से गिर रही हैं.

इतिहास बनकर रह जाएगा दुर्ग

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इतिहास बनकर रह जाएगा दुर्ग

माना जा रहा है कि दीवारें गिरने से कुछ दिनों में इनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण पर सरकार न ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में यह तिलिस्मी दुर्ग महज इतिहास बनकर रह जाएगा.

शिवद्वार के लिए यात्रा

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शिवद्वार के लिए यात्रा

विजयगढ़ दुर्ग का आधा क्षेत्र कैमूर की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से घिरा हुआ है. सावन में कांवरिया शिव भक्‍त अपने घरों से पैदल चलकर आते है. करीब 400 फिट तिलस्मी विजयगढ दुर्ग पर चढ़ाई कर ऊपर बने राम सागर पोखरा से पानी इकट्ठा कर शिवद्वार के लिए अपनी पवित्र यात्रा शुरू करते हैं.

मुस्लिम संत की कब्र

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मुस्लिम संत की कब्र

वहीं किले पर ही मुस्लिम संत की कब्र बनी हुई है. हर साल मीरानशाह बाबा को समर्पित उर्स मेले का आयोजन किया जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो तिलस्मी विजयगढ दुर्ग का निर्माण तीसरी शताब्दी में किया गया था.

रहस्यों से भरा है किला

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रहस्यों से भरा है किला

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस किले पर कई बार आक्रमण भी हुए, लेकिन यह किला कभी शेरशाह सूरी और चेत सिंह के कब्जे में भी रहा है. वर्तमान समय में तो स्वंत्रत ही है. यह किला रहस्यों से भरा हुआ है.

यहां छिपा है खाजाना?

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यहां छिपा है खाजाना?

अक्सर लोग विजयगढ़ दुर्ग के अंदर खजाना भी छिपे होने की संभावना जताते हैं. कहा जाता है कि दुर्ग के ऊपर बने रामसरोवर तालाब और सीता तालाब में कभी पानी सूखता है.