दुधवा राष्ट्रीय उद्यान जिसे 1977 में स्थापित किया गया था. यह पार्क 490 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है. वहीं भारत-नेपाल सीमा पर लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है. जिसमें बाघ, तेंदुए, हाथी, भालू और पक्षियों की 450 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं. अगर आप अपनी गर्मियों की छुट्टियों को पहाड़ों की बजाए कही और बिताना चाहते है तो आप यहां घूमने आ सकते हैं.
यह पार्क अपने में ही अनोखा जाना जाता है, जिसमें घास के मैदान, दलदल और घने जंगल शामिल हैं. दुधवा टाइगर रिजर्व एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह रिजर्व स्थानीय लोगों के जीवन में सुधार लाने और विकास का काम करता है.
यह टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले और शाहजहाँपुर जिले में स्थित है. जो अपने में ही बहुत खुबसूरत है. रिज़र्व से कुछ नदिया, जैसे शारदा, चूका और माला, खाननॉट होकर निकलती है. साल के जंगलों, लंबी घास के मैदानों और नदियों से समय-समय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दलदल यहाँ की विशेषता है.
रिजर्व की सीमा 22 किमी की लंबाई तक फैला है. यह भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी और उत्तर प्रदेश के मैदानों के साथ स्थित है. यह तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है. यह भारत के 51 प्रोजेक्ट टाइगर, टाइगर रिजर्व में से एक है.
अमनगढ़ बाध रिजर्व भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत एक टाइगर रिजर्व है. यह बिजनौर जिले के अमनगढ़ में है. इसका क्षेत्रफल 95 किमी है और यह उत्तर प्रदेश के केवल तीन टाइगर रिज़र्व में से एक है, अन्य दो दुधवा टाइगर रिज़र्व और पीलीभीत बाध अभ्यारण्य हैं. यह बाघों, हाथियों और अन्य जंगली जानवरों की एक विस्तृत विविधता का घर है.
इटावा का लायन सफारी लखनऊ से सिर्फ 3 घंटे की दूरी में है. यह पार्क 5 भागों में बांटा गया है. हिरण और एंटेलोप सफारी, भालू सफारी, तेंदुआ और शेर सफारी. 350 एकड़ में फैले इस पार्क में अब तक 18 शेर और छह शावक हैं. वेबसाइटस के अनुसार केंद्र सरकार ने 2013 में इस योजना को मंजूरी दी थी. बताया जाता है कि पहले दिन लगभग 400 लोग सफारी देखने के लिए टिकट खरीदे थे.
रानीपुर वन्य अभयारण्य भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट ज़िले में स्थित एक वन्य अभयारण्य है. यह 230 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर फैला हुआ है और अपनी वन्यजीव विविधता के लिए जाना जाता है. लेकिन आवागमन मे कठिनाई के कारण यहाँ पर्यटक कम आते हैं. यहां बंगाल बाघ, तेन्दुआ, स्लोथ रीछ, साम्भर, कृष्णमृग, मोर, चिंकारा, मछुआरी बिल्ली, रामचिरैया और कई अन्य प्राणी मिलते है.
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुछ वर्षों में बाघों की आबादी में 18.49 प्रतिशत की है. उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या 2018 की जनगणना में 173 से बढ़कर 2022 में 205 हो गई. 2006 के बाद से यह वृद्धि लगभग दोगुनी है, तब राज्य में 109 बाघ थे.