यूपी की इकलौती महिला महंत, महज 22 साल की उम्र में घर छोड़कर ओढ़ा संन्यासिन का चोला

जब हम किसी मठ या मंदिर में जाते हैं तो वहां पुरुष महंत ही पूजा आदि करते दिखाई दे जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या महिला महंत नहीं होती. जवाब है हां. देशभर में महिला महंत की संख्‍या बहुत कम है.

अमितेश पांडेय Sep 23, 2024, 10:51 AM IST
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कौन हैं महंत देव्‍यागिरि

लखनऊ के प्रसिद्ध और प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर की महिला महंत दिव्‍यागिरि का जन्‍म बाराबंकी जिले में हुआ था. महंत देव्यागिरी बचपन से ही कुछ अलग करना चाह रही थी. 

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ये डिग्रियां

देव्‍यागिर‍ि ने कभी नहीं सोचा था कि वह महंत बनेंगी. यही वजह रही कि उन्‍होंने बीएससी डिप्‍लोमा ऑफ पैथालॉजी की डिग्री हासिल की. बाद में पीजी भी किया. 

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मेडिकल की पढ़ाई

मेडिकल की पढ़ाई कर मानव चिकित्‍सा करना चाह रही थी. इसलिए पढ़ाई पूरी कर वह मायानगरी मुंबई चली गईं. यहां एक घटित एक घटना ने उनका जीवन और सपने दोनों बदल दिए. 

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मुंबई जाना था

दरअसल, जब वह अपना सपना पूरा करने के लिए मुंबई जा रही थीं तो उन्‍होंने सोचा कि एक बार मंदिर में भोले बाबा का दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले लिया जाए. 

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मनकामेश्‍वर मंदिर पहुंचीं

देव्‍यागिरि बताती हैं कि जब वह लखनऊ स्थित मनकामेश्‍वर मंदिर दर्शन करने पहुंचीं तो उन्‍हें कुछ आंतरिक परिवर्तन महसूस हुआ. 

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बोले बाबा को समर्पित किया जीवन

बस उसी वक्‍त उन्‍होंने वहीं रहने का सोच लिया. इस दौरान देव्‍यागिर‍ि ने अपना पूरा जीवन भोले बाबा को समर्पित कर दिया और उन्‍हीं की सेवा में जुट गईं. 

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महंत बनने का फैसला

देव्‍यागिर‍ि ने 22 साल की उम्र में घर त्‍याग कर महंत बनने का फैसला कर लिया. उनके इस फैसले से घर वाले नाराज थे. उनके संन्‍यास के चलते उनके घर में 9 दिनों तक चूला नहीं जला. 

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पूर्ण संन्‍यास ले लिया

10 जनवरी 2002 को देव्यागिरी ने दीक्षा लेकर घर त्‍याग दिया. दो साल बाद 2004 में कुंभ मेले में देव्‍यागिर‍ि ने पूर्ण संन्‍यास ले लिया. 

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शिष्‍य नहीं बनाया

पहले देव्यागिरी ने महंत केशव गिरी को अपना गुरु बनाया, लेकिन उन्होंने देव्यागिरी को स्वीकार नहीं किया. 

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रिवॉल्‍वर और दो नाल बंदूक

इसके बाद 9 सितंबर 2008 को देव्यागिरि को मनकामेश्वर मंदिर का महंत बना दिया गया. उन्‍हें रिवॉल्वर और दो नाल बंदूक मंदिर की पैतृक संपत्ति के रूप में सौंपी गईं. 

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रोजा इफ्तार का आयोजन

जैश ए मोहम्मद की ओर से उन्‍हें जान से मारने की धमकी मिली तो सरकार की ओर से उन्‍हें सुरक्षा प्रदान कर दी गई है. मंहत देव्‍यागिरी ने रमजान के महीने में रोजा इफ्तार का आयोजन कर मिसाल पेश की थी. 

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