मुनव्वर राणा उर्दू साहित्य के बड़े नाम थे. उनको 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था. उनको अपनी बेबाकी के लिए भी जाना जाता था.
मुनव्वर राणा की वो रचनाएं जिनको पढ़ने के बाद कभी नहीं भूल पाएंगे आप
मुनव्वर राणा उर्दू साहित्य के बड़े नाम थे. उनको 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था. उनको अपनी बेबाकी के लिए भी जाना जाता था.
शायर मुनव्वर राना का 14 जनवरी की देर रात इंतकाल हो गया. लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली.
जब कभी मां के लिए किसी शेर की ज़रुरत पड़ती है, तब शायर मुनव्वर राना के शेर याद आते हैं. पेश हैं मुनव्वर राना की कुछ चुनिंदा शायरी जो मां के लिए है.
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
मुस्तकिल जूझना यादों से बहुत मुश्किल है रफ्ता-रफ्ता सभी घरबार में खो जाते हैं
इतना सांसों की रफाकत पे भरोसा न करो सब के सब मिट्टी के अम्बार में खो जाते हैं
मेरी खुद्दारी ने अहसान किया है मुझ पर वर्ना जो जाते हैं, दरबार में खो जाते हैं
कौन फिर ऐसे में तनकीद करेगा तुझ पर सब तेरे जुब्बा-ओ-दस्तार में खो जाते हैं
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती