चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक साढ़े पांच महिने तक प्रधानमंत्री थे. इस दौरान चौधरी चरण सिंह संसद नहीं जा सके थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से आने वाले चौधरी चरण सिंह ने देश की राजनीति में बड़ा स्थान हासिल किया है.
चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन को देश किसान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा और नेता कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योकिं इन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के उत्थान में लगा दिया. उन्होने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की भी स्थापना की थी.
स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्राधानमंत्री बनने तक चौधरी चरण सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद की है. मशहूर किसान नेता ने एक जुलाई 1952 को जमींदारी प्रथा के उन्मूलन का भी कार्य किया था.
राजनीति के लिए छोड़ी वकालतराजनीतिक करियर के लिए चौधरी चरण सिंह ने वकालत छोड़ दी थी. उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी की स्थापना की. साल 1937 के फरवरी माह में पहली बार 34 साल की उम्र में छपरौली (बागपत) से विधायक चुने गए.
चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई1979 में देश के पहले प्रधानमंत्री बने. इस पद पर 14 जनवरी 1980 तक रहकर उन्होंने देश की सेवा की. इससे पहले चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
पंडित जवाहरलाल नेहरु और चौधरी चरण के बीच मतभेद थे, इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. राजनारायण और राम मनोहर लोहिया की मदद से उन्होने यूपी में 1967 में सरकार बनाई थी.
मोरार जी देसाई की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के समर्थन से 1979 में चौधरी सिंह की सरकार बनी. बताया जाता है कि इंदरागांधी चाहती थी की अपातकाल में उनके नेताओं पर केस दर्ज किए गए हैं. वे सभी केस वापस ले लिए जाए. इस बात का समर्थन चौधरी सिंह नहीं किया और 5 महीने में इस्तीफा दे दिया. ऐसे में वह एक दिन भी प्रधानमंत्री के रूप में संसद नहीं गए.
राज नारायण और राम मनोहर लोहिया की मदद से अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, भारतीय क्रांति दल का गठन किया.