सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि गरुड़ पुराण क्या है. श्री हरि के वाहन पक्षीराज गरुड़ के मन में एक बार मृत्यु और उसके बाद की घटनाओं को लेकर सवाल उठे तो उन्होंने श्री हरि यानी विष्णु भगवान से मृत्यु और उसके बाद की घटनाओं पर विस्तार से चर्चा की. इस पूरी चर्चा को ही गरुड़ पुराण में वर्णित किया गया है.
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक ग्रंथ है, जो मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं पर विस्तार से चर्चा करता है. भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ को मृत्यु के बारे में जो कुछ बताया उसी का वर्णन मिलता है.
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसे टाला नहीं जा सकता है. लोग भूख, हत्या, फांसी, जहर, आग से जलकर, जल में डूबकर, सांप के काटने से, दुर्घटना, गंभीर बीमारी आदि से मृत्यु को प्राप्त होते हैं.
गरुड़ पुराण में जन्म, मृत्यु, पुनर्जन्म, कर्म, आत्मा, पाप-पुण्य, नीति-नियम, धर्म और ज्ञान से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई है. इसमें यह भी बताया गया है कि मृत्यु के बाद किन कर्मों की वजह से आत्मा मनुष्य योनि या प्रेत योनि में जाती है.
गरुड़ पुराण में बताया गया है मृत्यु के बाद भी आत्मा में लालसा, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष और वासना आदि का भाव रहता है. बुरे कर्म करने वालों की आत्मा मृत्यु लोक में विचरती रहती है. अगर किसी की मृत्यु प्राकृतिक तरीके यानी आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना आदि से होती है तो वह प्रेत योनि में भटकता रहता है.
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि संसार में 84 लाख योनियां हैं. जिसमें से एक मनुष्य की योनि है. बाकी पक्षी, वृक्ष और और कीड़े-मकोड़े आदि हैं. मान्यता है कि इस जन्म के कर्म और पुण्यों के आधार पर आत्मा को नई योनि में जन्म मिलता है.
हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि किसी की मृत्यु के बाद उसका पिंडदान जरूरी होता है और नियमानुसार श्राद्ध भी करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर आत्मा को शांति नहीं मिलती है और वह मृत्यु लोक में ही विचरण करती रहती है.
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो लोग बुरे कर्म करते हैं या फिर इस जन्म में उनके कर्म अकाल मृत्यु की वजह से अधूरे रह जाते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद भी इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती है और वो भूत-पिशाच बनकर भटकती रहते हैं.
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक जाती है जहां उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग, नरक और अगले जन्म का निर्धारण होता है. कहा जाता है कि धरती पर किए गए बुरे कर्मों के कारण आत्मा को नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. और अगर अच्छे कर्म किए होते हैं तो स्वर्ग की यात्रा का अनुभव प्राप्त होता है.
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