राष्ट्रपति ने हाल ही में राजस्थान, झारखंड, असम, तेलंगाना समेत कई राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति की है.
हालांकि उत्तर प्रदेश में अभी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि आनंदी बेन पटेल को दूसरा कार्यकाल मिलेगा या कोई नया चेहरा आएगा.
गवर्नर के बारे में आपने भी सुना होगा लेकिन क्या आपको मालूम है कि इनकी नियुक्ति, योग्यता, पद की अहमियत और सैलरी क्या होते हैं.
देश में जैसे राष्ट्रपति होता है, वैसे ही राज्यों के राज्यों के प्रमुख राज्यपाल होते हैं. इनकी नियुक्ति की वजह है कि संघीय ढांचे को सुचारु रूप से चलाया जा सके.
राज्य सरकार को बर्खास्त करने में राज्यपाल की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. राज्यपाल को केंद्र और राज्य की कड़ी के तौर पर देखा जाता है.
राज्य का संवैधानिक मुखिया राज्यपाल होता है. वह यह सुनिश्चित करता है कि राज्य की शासन व्यवस्था ठीक से चले. गवर्नर की मोहर के बाद ही कोई बिल कानून बनता है.
विधानसभा में बहुमत से आने वाले मुख्यमंत्री राज्य का सीधे नेतृत्व करते हैं, उनका कार्यक्षेत्र विभागों के संचालन, नीतियों का प्रस्तावन और सरकारी नीतियों के लिए निर्णय लेना होता है.
मुख्यमंत्री की प्रमुख शक्तियों में सरकार की नीतियों को लागू कराने और विकास की योजनाओं की प्लानिंग की हैं.
दोनों के पास अपनी खास शक्तियां और कार्यक्षेत्र होते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री को निर्णय लेने और राज्य के विकास योजना बनाने में ज्यादा अधिकार होते हैं.
राज्यपाल को तीन लाख 50 हजार रुपये मासिक सैलरी मिलती है जबकि राज्यों के सीएम की सैलरी अलग-अलग होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के मुख्यमंत्री की सैलरी 3 लाख 65 हजार रुपये है.