भारत में भाईदूज मनाने का असल कारण. कैसे शुरू हुई भाईदूज मनाने की यह परंपरा
दिवाली का त्यौहार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. भारतवासी जिस भी देश में मौजूद हो उस देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.
भाईदूज का त्यौहार कुछ-कुछ रक्षाबंधन की तरह ही है, इस दिन बहने अपने भाइयों को नारियल देकर उनका तिलक करती हैं.
इसके बाद भाई भी बहनों को शगुन देकर अजीवन उनकी रक्षा करने का प्रण करते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्य और छाया की दो संतान थी मां यमुना और यमराज.
दोनो भाई-बहन यमुना और यमराज में अटूट प्रेम था, वे दोनों ही एक दूसरें के हितैशी थे.
कई बार काम के चलते यमराज मां यमुना से मिल नहीं पाते थे, जिस कारण एक दिन मां यमुना उनसे नाराज हो गई.
एक दिन अचानक ही कार्तिक पक्ष की द्वितीय तिथि पर यमराज मां यमुना से मिलने आ गए.
उस दिन यमराज से प्रसन्न होकर मां यमुना ने उन्हें एक नारियल दिया ताकि वह नारियल हमेशा यमराज को उनकी याद दिलाता रहे.
यमराज ने भी हर साल कार्तिक पक्ष की द्वितीय तिथि पर मां यमुना से मिलने आने का वादा किया.
इसी कथा के बाद पूरे देश में कार्तिक पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन भाईदूज मनाने का रिवाज शुरू हो गया.