Ahoi Ashtami 2024: आज अहोई अष्‍टमी मनाई जा रही है. महिलाएं ये व्रत अपने बच्‍चों की लंबी उम्र और बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए रखती हैं.  अहोई माता का व्रत रखकर बच्‍चों के सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. अहोई अष्‍टमी हर साल कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार अहोई अष्‍टमी के दिन साध्‍य योग और गुरु पुष्‍य नक्षत्र पड़ रह है. ऐसे में इस बार अहोई माता की पूजा का महत्‍व और बढ़ जाता है. अहोई माता, संतान के जीवन में चल रही समस्‍याओं को समाप्‍त कर देती हैं. तो आइये जानते हैं कौन हैं अहोई माता?. 


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कौन हैं अहोई माता?
माता अहोई को माता पार्वती का रूप माना जाता है. संतानों की रक्षा करने और उनकी उम्र बढ़ाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. अहोई माता के पूजन से महिलाओं की कुंडली में ऐसे योग बन जाते हैं, जिससे बंध्या योग, गर्भपात से मुक्ति, संतान की असमय मृत्यु होना एवं दुष्ट संतान योग आदि सभी कुयोग समाप्त हो जाते हैं. अहोई अष्टमी के दिन मुख्य रूप से चांदी की अहोई बनाई जाती है. इस दिन घर को गोबर से लीपा जाता है और कलश स्थापना भी की जाती है. दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाते हैं. साथ ही उनके चारों ओर उनके 8 बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं. 


यह है पौराणिक कथा 
पौराणिक कथा के मुताबिक, प्राचीन समय में एक महिला जंगल में मिट्टी खोदते समय गलती से एक साही के बच्चों को मार देती है. इसके बाद महिला को पछतावा होने लगा. महिला ने क्षमा याचना के लिए वहीं बैठकर तपस्‍या करने लगी. महिला की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी उसे आशीर्वाद देती हैं कि उसकी संतान सुरक्षित रहेगी, तब से यह परंपरा चली आ रही है कि महिलाएं अहोई माता की पूजा कर अपनी संतानों की दीर्घायु और कल्याण की कामना करती हैं. 


चंद्रमा का दर्शन नहीं किया जाता
अहोई अष्‍टमी, करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को चंद्रमा दर्शन करने से बचना चाहिए. इसलिए सूर्यास्त के बाद तारे देख कर ही व्रत का पारण कर लेना चाहिए. साथ ही व्रत करने से पहले, व्रत की विधि को सही ढंग से जान लेना चाहिए. अहोई माता की पूजा के लिए विशेष पूजा सामग्री जैसे जल से भरा कलश, कुमकुम, चावल, मिठाई, दूर्वा, आदि ये सब चीजें पूजा में होनी जरूरी हैं. अहोई माता की तस्वीर या दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं.


अहोई अष्टमी के दिन बेटों की पूजा क्‍यों?
अहोई अष्टमी के दिन आमतौर पर बेटों की लंबी उम्र के लिए पूजा किया जाता है. माना जाता है कि अहोई माता के साथ भी उनके पुत्रों की ही तस्वीर होती है, इसलिए इस दिन बेटों के लिए पूजन को ज्यादा फलदायी माना जाता है. हालांकि, यह आपकी पसंद पर भी आधारित है और आप बेटियों के लिए भी यह उपवास रख सकती हैं और उनकी दीर्घायु की प्रार्थना कर सकती हैं. 


 



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