Annapurna Jayanti 2024: 14 या 15 दिसंबर कब है अन्नपूर्णा जयंती?, दूर कर लें कंफ्यूजन
हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. इस दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है. माता अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है. यह पर्व देवी पार्वती के अन्नपूर्णा रूप में प्रकट होने की याद में मनाया जाता है.
Annapurna Jayanti 2024: हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. इस दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है. माता अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है. यह पर्व देवी पार्वती के अन्नपूर्णा रूप में प्रकट होने की याद में मनाया जाता है. इस दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. तो आइये जानते है इस साल अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाएगी.
कब है अन्नपूर्णा जयंती?
वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर की शाम 4 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस पूर्णिमा की समाप्ति 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर को मनाई जाएगी. बता दें कि मां अन्नपूर्णा को अन्नदा और शाकुम्भी भी कहा जाता है. मां अन्नपूर्णा को भरण पोषण की देवी भी कहा जाता है.
क्या है मान्यता
मान्यता है कि एक बार जब काशी में अकाल पड़ा तो लोग भूख से व्याकुल होने लगे. इसके बाद मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण कर लोगों की भूख मिटाने के लिए भगवान शिव ने अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी. इसके बाद माता अन्नपूर्णा ने वचन दिया कि काशी के लोग कभी भूखे नहीं रहेंगे. अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई घर में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखकर पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन रसोई में चूल्हे की भी पूजा करें.
अन्नपूर्णा जयंती पर क्या करें
अन्नपूर्णा जयंती पर सुबह स्नान कर पूजाघर को गंगा जल से शुद्ध कर लेना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल पर माता अन्नपूर्णा की मूर्ति या तस्वीर रखें. माता के सामने धूप और दीपक जलाना चाहिए. पूजा के लिए कुमकुम, हल्दी, अक्षत, नैवेद्य, तुलसी पत्र रखें. भोग के रूप में हलवा, पूड़ी और सब्जी बनानी चाहिए. पूजा के दौरान मां अन्नपूर्णा के स्तोत्र और मंत्रों का जप करना चाहिए. साथ ही अक्षत, पुष्प आदि भी माता को चढ़ाने चाहिए. पूजा पूरी होने के बाद घर के लोगों में आपको प्रसाद बांटना चाहिए.
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