Budhwar Ke Upay: बुधवार को करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, गजानन सुख-समृद्धि का देंगे आशीर्वाद
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Budhwar Ke Upay: बुधवार को करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, गजानन सुख-समृद्धि का देंगे आशीर्वाद

Budhwar Ke Upay: बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन गणपति को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं. 

Budhwar Ke Upay

Budhwar Ke Upay: आज मार्गशीष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. आज दिन बुधवार है. यह दिन गणेश भगवान को समर्पित है. इस दिन लोग गजानन की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में गणपति को प्रथम पूज्य माना गया है. यही वजह है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गजानन की पूजा की जाती है. मान्यता है कि अगर गणेश जी अपने भक्त से प्रसन्न हो जाएं, तो उन्हें सुख-समृद्धि, धन-दौलत और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं. गणपति की पूजा के दौरान श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र का पाठ करना फलदायी माना गया है. 

श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र!
मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् ।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥

समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥

अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥

नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं
अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥५॥

महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥६॥

इन मंत्रों का करें जाप 
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

2. गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥

3. महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। 

4. 'ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा'

5. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

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