Chaitra navratri 4th day: हिंदू धर्म में नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों में से किसी न किसी एक रूप से संबंध रखता है. नवरात्रि के दिनों में पूरे विधान-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.  नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित माना जाता है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा माता की पूजा होती है. कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-साधना करने पर साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए इस लेख में जानते हैं देवी कूष्मांडा की पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में.


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चौथा चैत्र नवरात्रि (12 अप्रैल 2024, शुक्रवार)- मां कुष्मांडा पूजा


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कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. संस्कृत भाषा में कुष्माण्ड कुम्हड़े को कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. मां के हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृतकलश, गदा और चक्र सुशोभित हैं. इसके साथ ही मां जपमाला रखती हैं. मां कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी कुष्मांडा रोग दूर करने वाली है. जब देवी प्रसन्न होती हैं तो वे भक्तों को यश, बल व धन से समृद्ध कर देती हैं.


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मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा का आशीर्वाद के लिए सुबह उठें और स्नान आदि के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद मंदिर की जगह को साफ करें और मां कूष्मांडा की तस्वीर एक चौकी को ईशान कोण में स्थापित करें. चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. मां के सामने शुद्ध देसी घी का दीप जलाएं और उनकी विधि विधान से पूजा करें. भगवती कूष्मांडा को फल-फूल, धूप, भोग आदि अर्पित करें. मां को भोग में आमतौर पर हलवा-मालपुआ और दही को भोग लगाएं. ऐसा कहा जाता है कि मां को मालपुआ पसंद हैं.  फिर मां माता के मंत्रों का जाप करें और पूजा के अंत में  देवी भगवती की आरती करें. सभी को प्रसाद बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें.


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पूजा के समय का मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।  दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।


मां कुष्मांडा का प्रसाद
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना चाहिए. 


माता कुष्मांडा का प्रिय रंग नारंगी 
ऐसी मान्यता है कि माता कुष्मांडा का प्रिय रंग नारंगी है. इसलिए इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहनें और मां को खुश करें.


पूजा का धार्मिक महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार कूष्मांडा माता की साधना से साधक के भीतर जीवनी शक्ति का संचार होता है. मां  इस पावन स्वरूप की साधना करने से साधक हमेशा निरोगी बना रहता है. उसकी आयु में वृद्धि होती है.


डिस्क्लेमर: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.Zee Upuk इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.


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