Dehradun news: संतान दायनी माता सती अनुसूया मेला विधि विधान के साथ शुरु हो चुका है. 7 हजार 300 फिट की ऊँचाई पर माता का मंदिर स्तिथ है. वहीं इस बार माँ अनुसूया मंदिर रात्रि को 398 बरोही (निःसंतान दम्पति) ने अनूसुया देवी के मंदिर में पंजीकरण कर रात्रि को पुत्र प्राप्ति के लिये मंदिर में जागरण किया. कड़ाके की ठंड के बीच हजारों की संख्या में श्रद्धालु अनुसूया मॉं के दर्शनों के लिए पहुंतते है. अनुसूया मॉं के मंदिर तक पहुंचने के लिए  5 किलोमीटर की खड़ी चड़ाई चड़कर पहुँचना होता  है.


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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बंणद्वारा, खल्ला, सगर, देवलधार और कठूड़ मंदिरों में माता अनुसूया की पांच बहनों की पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान पाँचों देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में देव भक्त अनुसूया मंदिर पहुँचे थे. यहां भक्तों ने माँ अनुसूया और ज्वाला के जयकारों के साथ देव डोलियों को भव्य स्वागत किया.


जाने पूजा का विधान
संतानदायीनी माता अनुसूया को लेकर मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर जो भी निःसंतान दम्पति यहां पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. यहां दत्तात्रेय जयंती के पर्व क्षेत्र की सगर, बंणद्वारा, देवलधार, कठूड और खल्ला की देव डोलियां अनुसूया मंदिर पहुंचती हैं. जहां विशेष पूजाओं के बाद निःसंतान महिला को रात्रि के समय आयोजित अनुष्ठान में भाग लेना होता है. जिसके बाद यहां आने वाले स्वप्न के बाद महिला अपने पति के साथ स्नान कर लौट आती है. मान्यता है महिला को स्वप्न में फल दिखाई देने पर पुत्र की प्राप्ति होती है.


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