Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, भस्म हो जाएंगी घर की खुशियां
Govardhan Puja 2023: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन यानी अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है.
Govardhan Puja 2023: दीपावली के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस साल यह 13 नवंबर को है. इस पर्व पर गोवर्धन और गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है. लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाते हैं और गोवर्धन भगवान की उपासना करते हैं. इस दिन श्री कृष्ण को अन्नकूट का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.
मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा भाव से पूजा करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही मनोकामना की पूर्ति होती है. हालांकि, गोवर्धन पूजा वाले दिन कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए ताकि घर की सुख-समृद्धि बनी रहे. आइये जानते हैं कि गोवर्धन पूजा के दिन आपको किन गलतियों से बचना चाहिए.
गोवर्धन पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम
घर पर परिवार के सभी लोगों को एक साथ मिलकर गोवर्धन पूजा करनी चाहिए. अलग-अलग पूजा करना अशुभ माना जाता है.
पूजा के दौरान भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें. इस दिन हल्के पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनना उत्तम माना गया है.
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें. पूजा खुली जगह जैसे घर के आंगन, बालकनी या छत में ही करें.
गायों की पूजा करते हुए भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें. गायों को भोग लगाना ना भूलें.
इस दिन भूलकर भी गाय, पौधों, जीव-जंतु आदि को न सताएं और न ही कोई नुकसान पहुंचाएं.
इस दिन धूम्रपान, मांस-मदिरा का सेवन न करें. ऐसा करने से जीवन में अशांति फैल सकती है.
अगर आप गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कर रहे हैं तो साफ-सुथरे कपड़े की पहनें. गोवर्धन पूजा के दिन गंदे कपड़े पहनकर पूजा नहीं करनी चाहिए.
गोवर्धन की परिक्रमा हमेशा नंगे पैर करनी चाहिए. इसके अलावा अगर आपने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा शुरू करने के बाद कभी भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. गोवर्धन की परिक्रमा बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है.
गोवर्धन पूजा विधि
इस दिन सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए. घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं. पास में ग्वाल बाल, पेड़-पौधों की भी चित्र बनाएं. उसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें. इसके बाद भगवान कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का पूजन करें. पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं. गोवर्धन पूजा की कथा सुनें.कथा सुनने के बाद लोगों में प्रसाद बांटे.
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