Hariyali Teej 2023: भारत देश में सनातन धर्म को मानने वाली सुहागिन महिलाएं हरियाली तीज का वर्त करती हैं. यह खास पर्व उत्तर भारत में प्रमुखता से मनाया जाता है. इसको छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाता जाता है.  सुहागिन महिलाएं खूब श्रृंगार कर इस व्रत को करती हैं. आइए जानते हैं कि 2023 में हरियाली तीज कब है व हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त क्या है. 


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हरियाली तीज या श्रावणी तीज का वर्त श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है. हरियाली तीज का व्रत मुख्यत: महिलाओं का पर्व है. सावन के महीने में जब पूरी वसुंधरा पर हरियाली का चादर बिछ जाती है.प्रकृति अपना पूरा श्रृंगार कर लेती है. इस प्रकार के मनमोहक क्षणों का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूला झूलती हैं. लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं. हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है. सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज पर्व बहुत मायने रखता है. क्योंकि सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. 


हरियाली तीज की परंपरा
नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से मायके बुलाया जाता है.


1.  हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है. इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई दी जाती है. 
2.  इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है. महिलाएं और युवतियां अपने हाथों अलग- अलग प्रकार से मेहंदी लगाती हैं. इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है. सनातन धर्म में यह महिलाओं के सुहाग की निशानी बताई गई हैं. 
3. हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. यदि सास ना हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है. 
4. इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं. 
5. हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।


कैसे करें हरियाली तीज की पूजा
हरियाली तीज ता उल्लेख शिव पुरान में मिलता है. शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है. इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. आप इस प्रकार से हरियाली तीज की पूजा कर सकते हैं. 


1.  इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें. एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा सजाएं. 
2.  मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें. 
3.  हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है. इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं. 


हरियाली तीज पर इस चीजों का त्याग करें
हरियाली तीज पर हर महिला को कुछ बुराइयां छोड़ देनी चाहिए. 
1.  पति से छल-कपट
2.  झूठ व दुर्व्यवहार करना
3.  परनिंदा (दूसरो की बुराई करने से बचना)


हरियाली तीज का पौराणिक महत्व
सनातन धर्म  धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है. इन सभी से जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है. हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया. इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है.