Holika Dahan 2024: होलिका दहन के साथ रंगों के पर्व की शुरुआत हो जाती है. होली के लिए बस कुछ समय ही बाकी है. इस बार होली का त्योहार 25 मार्च को है और उससे पहले 24 तारीख को होलिक दहन किया जाएगा. लेकिन यूपी के सहारनपुर में एक ऐसा गांव भी है जहां पर होलिका दहन के दिन सन्नाटा पसरा रहता है. यहां पर होलिक दहन नहीं होता है. स्थानीय लोग पास के गांव में होलिका दहन के लिए जाते हैं. इस प्रथा और परंपरा के साथ कुछ किवदंतिया जुड़ी हुई हैं. आइए जानते हैं कि यहां पर होलिका दहन क्यों नहीं किया जाता है.


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नहीं होता होलिका दहन
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur) के एक गांव में होलिका दहन (Holika Dahan) नहीं किया जाता है. बरसी गांव का मानना है कि अगर यहां होलिका दहन किया जाएगा तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे और इसलिए 'होलिका दहन' नहीं किया जाता है. स्थानीय महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर 'होलिका दहन' करने के लिए बगल के गांव में जाती हैं.


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महाभारत काल से जुड़ी है कथा
सहारनपुर के बरसी गांव में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह महाभारतकालीन है. होलिका दहन से जुड़ी कथा में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लोगों की मान्यता के अनुसार, ये शिव मंदिर कौरवों और पांडवों द्वारा बनाया गया था. किवदंतियों के अनुसार पांडवों के बीच कुछ असहमति बनी. पांच पांडवों में से एक भीम ने अपनी गदा का इस्तेमाल करते हुए मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा पूर्व से पश्चिम की तरफ कर दी. इस वजह से लोगों का मानना है कि गांव में भगवान शंकर का शिवलिंग स्थापित है, जो स्वयंभू शिवलिंग है.ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर यहां आते हैं. ऐसे में होलिका दहन की आग से उनके पैर झुलस जाते हैं, इसलिए बरसी गांव में होलिका दहन नहीं होता है.


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सालों से चली आ रही है परंपरा
स्थानीय लोगों के मुताबिक ये कब शुरू हुआ इसकी पूरी जानकारी नहीं है पर काफी लंबे समय से ये चलता आ रहा है. ये एक परंपरा है जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं. किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की है. होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं पास के गांव में जाती हैं.


कैसे करें होलिका दहन पर पूजा
होलिका दहन की पूजा में सबसे पहले श्री गणेश जी ध्यान करें. फिर इसके बाद होलिका पर गंगाजल छिड़कें.  हल्दी, कुमकुम, फूल, अक्षत, गुलाल, नारियल, उपले की माला,गेहूं की बालियां होलिका को अर्पित करें. इन सभी सामग्री मंत्रोंच्चार के साथ चढ़ाएं.  भक्त प्रह्लाद, नृरसिंह भगवान के मंत्रों का जाप करें. फिर इसके बाद होलिका की 7 बार परिक्रमा करें. ऐसा कहा जाता है कि होलिका की पूजा महिलाएं करती हैं.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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