देशभक्ति का भाव जगाता है गुरु गोबिंद सिंह का जीवन, 2024 में इस दिन है जयंती, परिवार सहित करें नमन
Guru Gobind Singh Jayanti 2024 : पूज्य श्री गुरुगोबिंद सिंह जी सिर्फ सिखों के नहीं संपूर्ण भारतीय समाज के आस्था के केंद्र हैं. उनके जीवन से हम राष्ट्रप्रेम और मानवता का धर्म सीख सकते हैं. आइए जानते हैं 2024 में उनकी जयंती कब है.
Guru Gobind Singh Jayanti 2024 : गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु थे. गुरु गोबिंद सिंह का जन्म सिख धर्म में बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. गुरु गोबिंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर थे जिनको औरंगजेब द्वारा मारा दिया गया था. गुरु गोबिंद सिंह की माता का नाम माता गुजरी था. गुरु गोबिंद सिंह बचपन का नाम गोबिंद राय था. उन्हें मात्र 9 साल की उम्र में सिखों के रूप में स्थापित किया गया था.
जूलियन कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म पटना, बिहार में 22 दिसंबर, 1666 को हुआ था. जूलियन कैलेंडर अप्रचलित है और वर्तमान समय में कोई भी इसका उपयोग नहीं करता है.
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार पूज्य श्री गुरु गोबिंद का जन्म 01 जनवरी, 1667 को हुआ था. या तो हम जूलियन या ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन करें, गुरु गोबिंद की हिंदू जन्म तिथि उसी दिन आती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह सप्तमी, पौष, शुक्ल पक्ष, 1723 विक्रम संवत था जब गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था. गुरु गोबिंद सिंह की जन्म तिथि का कोई विवाद नहीं है जो अक्सर अन्य गुरुओं और संतों के साथ मिलता है.
कई भाषाएं सीखी
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म जहां हुआ था उस स्थान पर अब तखत श्री हरिमंदर जी पटना सहिब है. 1670 में उनका परिवार फिर पंजाब आ गया. मार्च 1672 में उनका परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर आ गया. चक्क नानकी ही आजकल आनन्दपुर साहिब कहलता है. यहीं पर इनकी शिक्षा आरम्भ हुई. उन्होंने फारसी, संस्कृत की शिक्षा ली और एक योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल सीखा.
नहीं स्वीकार्य किया इस्लाम
इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 11 नवम्बर 1675 को औरंगज़ेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया. इसके पश्चात वैशाखी के दिन 29 मार्च 1676 को गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए.
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10वें गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही. शिक्षा के अन्तर्गत उन्होनें लिखना-पढ़ना, घुड़सवारी तथा सैन्य कौशल सीखे 1684 में उन्होने चण्डी दी वार की रचना की.1685 तक वह यमुना नदी के किनारे पाओंटा नामक स्थान पर रहे. खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 को हुई थी. उनका जीवन संपूर्ण मानवता को प्रेरित करता रहेगा.